देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर साल महिलाओं के खिलाफ अपराध की संख्या में इजाफा हो रहा है। रेप से लेकर छेड़खानी और घरेलू हिंसा के मामले उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे हैं। महिला आयोग में दर्ज आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। महिला आयोग की अध्यक्ष का यह भी कहना है कि कोरोना के बाद इन मामलों में बढ़ोतरी हुई है। प्रदेश में घर के बाहर ही नहीं, बल्कि घर में भी महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है। हालांकि आयोग का यह भी कहना है कि कई बार मामले झूठे पाए जाते हैं ऐसे में पुरुष भी अर्जी लेकर आ रहे हैं।
रेप, दहेज उत्पीड़न, मानसिक उत्पीड़न और घरेलू हिंसा समेत महिलाओं के साथ घटित अन्य अपराधों में हुई बढ़ोतरी इसकी गवाही दे रही है। उत्तराखंड महिला आयोग के पास 1 अप्रैल से लेकर अब तक तकरीबन 1309 मामले सामने आए हैं। यह मामले सिर्फ महिला आयोग में दर्ज हैं। इसके अलावा अलग-अलग थानों में दर्ज मुकदमे इसकी गवाही दे रहे हैं। महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल का कहना है कि उत्तराखंड में महिला उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। खासकर कोरोना काल के दौरान इन मामलों में इजाफा हुआ है। जिसके बाद तमाम महिलाएं और बालिकाएं महिला आयोग में अपने खिलाफ उत्पीड़न के मामले दर्ज कराने पहुंच रही हैं।
महिला आयोग में दहेज उत्पीड़न, मानसिक उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और रेप के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। हालांकि बाल विवाह से संबंधित एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है। आयोग ने अब तक 1309 मामलों में से 607 मामले रद्द कर दिए हैं। बाकी पर कार्रवाई चल रही है। लेकिन गंभीर बात ये है कि उत्तराखंड जैसे शांतप्रिय प्रदेश में महिलाओं पर उत्पीड़न के मामले बढ़ना गंभीर बात है। आयोग के मुताबिक 1 अप्रैल से लेकर अब तक दहेज उत्पीड़न के 142, रेप के 16, मानसिक उत्पीड़न के 283, घरेलू हिंसा के 223, जान-माल की सुरक्षा 337, धोखाधड़ी 60, छेड़खानी 37, यौन उत्पीड़न 12, संपत्ति विवाद 31 और हत्या के 11, दहेज हत्या एक, अपहऱण पांच और अवैध संबंध के 20 मामले दर्ज कराए गए हैं।