उत्तराखंड में वनाग्नि हो या फिर चारधाम यात्रा व्यवस्था, सभी विपदा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अकेले जूझ रहे हैं। CM Dhami on Uttarakhand forest fire मंत्रियों की फौज तो यहां सिर्फ कुर्सी और सुख-सुविधा का लुत्फ उठाने के लिए हैं। खासकर वनाग्नि जैसी बड़ी आपदा जिसमें प्रत्येक वर्ष मानव जनित आग से वन संपदा एवं वन्य प्राणियों को भयंकर क्षति होती है, में वन मंत्री की चुप्पी समझ से परे है। वहीं चारधाम यात्रा में पर्यटन मंत्री न तो बैठकों में दिख रहे और न ही विभागीय तैयारी को लेकर गंभीर दिख रहे हैं। इससे राज्य में मंत्रियों की मौजूदगी पर सवाल उठने लाजमी हैं। मुख्यमंत्री धामी आज रुद्रप्रयाग पहुंचकर जंगल में बिखरी हुई पिरूल की पत्तियों को एकत्र करते हुए जन-जन को इसके साथ जुड़ने का संदेश दिया। पिरूल की सूखी पत्तियां वनाग्नि का सबसे बड़ा कारण होती हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश की समस्त जनता से अनुरोध है कि आप भी अपने आस-पास के जंगलों को बचाने के लिए युवक मंगल दल, महिला मंगल दल और स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर इसे अभियान के रुप में संचालित करने का प्रयास करें। वनाग्नि को रोकने के लिए सरकार ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन पर भी कार्य कर रही है। इस मिशन के तहत जंगल की आग को कम करने के उद्देश्य से पिरूल कलेक्शन सेंटर पर ₹50/किलो की दर से पिरूल खरीदे जाएंगे। इस मिशन का संचालन पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा किया जाएगा इसके लिए ₹50 करोड़ का कार्पस फंड पृथक रूप से रखा जाएगा।