चीला रेंजर्स हादसे का हुआ खुलासा, अभी भी लापता हैं महिला अधिकारी; जारी है सर्च ऑपरेशन

चीला नहर में लापता वन्य जीव प्रतिपालक का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। एसडीआरएफ की टीम लापता महिला वनाधिकारी की तलाश में जुटी हैं।

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उत्तराखंड के ऋषिकेश-हरिद्वार चीला मार्ग पर 8 जनवरी सोमवार को हुए सड़क हादसे को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। Revelation in Chilla Rangers accident शुरुआती जांच में कई लापरवाही का पता चला है। बताया जा रहा है कि गाड़ी में 8 सवारी ही बैठ सकती हैं। लेकिन हादसे के दौरान 10 लोग गाड़ी में बैठे हुए थे। इसके अलावा दुर्घटना के घायलों में से दो की हालत अभी गंभीर बनी हुई है। जबकि तीन घायलों को एम्स ऋषिकेश से डिस्चार्ज कर दिया गया है। वहीं चीला नहर में लापता वन्य जीव प्रतिपालक का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। एसडीआरएफ की टीम लापता महिला वनाधिकारी की तलाश में जुटी हैं। जांच में हादसे का कारण अत्यधिक स्पीड बताई जा रही है। साथ ही पुष्टि हुई है कि हादसा टायर फटने की वजह से हुआ है। हादसे के भयावह रूप लेने का कारण ये भी है कि जिस जगह हादसा हुआ वहां रोड की चौड़ाई करीब 15 से 20 फीट है। रोड के एक तरफ लंबे-लंबे पेड़ हैं और दूसरी तरफ गहरी नहर है। ऐसे में तेज स्पीड वाहन का टायर फटा और पेड़ से टकराने के बाद गाड़ी पलट गई।

एम्स के जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार सिंह ने बताया कि घायलों में अंकुश की स्थिति गम्भीर बनी हुई है, जिसे ट्रामा इमरजेंसी के रेड एरिया में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। उन्होंने बताया कि घायलों का इलाज कर रहे ट्रामा विभाग के सर्जन डा. नीरज कुमार के अनुसार अंकुश की छाती, पेट और रीढ़ की हड्डी में गम्भीर चोटें आई हैं। ट्रामा चिकित्सकों के अनुसार दूसरे घायल पशु चिकित्साधिकारी डा. राकेश नौटियाल भी अभी ऑक्सीजन सपोर्ट पर है। डा. नौटियाल के दोनों पैरों में फ्रैक्चर है व छाती व चेहरे में भी गहरी चोटें आई हैं। दुर्घटना के अन्य तीन घायलों अमित सेमवाल, अश्विन बीजू और हिमांशु की हालत सामान्य होने पर उन्हें मंगलवार देर शाम अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। साथ ही, वन मंत्री ने घटनास्थल पर पहुंचकर लापता महिला अधिकारी की तलाश के लिए चलाए जा रहे सर्चिंग ऑपरेशन का भी जायजा लिया। उन्होंने एसडीआरएफ के अधिकारियों को सर्चिंग अभियान में तेजी लाने तथा अन्य विकल्पों पर भी विचार करने की बात कही।