Chowsingha Khadu : देवभूमि में बद्रीनाथ कपाट खोलने की घोषणा होते ही हुआ चमत्कार

Share

अचानक लापता हो गया था खाड़ू…वापस जमीन के भीतर से निकला ! जिस खाड़ू की लंबे वक्त से थी तलाश…वो आखिरकार लौट आया है, खाड़ू की लोगों ने शुरू की पूजा अर्चना…पहाड़ों की संस्कृति फिर से जिंदा!

जो सनातन पर सवाल उठाते हैं..जो सनातन को हल्के में लेते हैं..देवभूमि की आस्था पर जिनको शक है…या फिर जिन्हें भरोसा नहीं…वो जरा इन तस्वीरों को देख लें…वैसे तो ये आपको सिर्फ एक जानवर लगेगा…लेकिन वास्तव में ये ऐसा है नहीं..क्योंकि इसे पवित्र माना गया है…इसके पीछे की वजह हैरान कर देगी….कि एक जानवर…जो बकरे की तरह दिख रहा है..सनातन में ये पवित्र कैसे हो गया…तो इसके पीछे की वजह सालों पुरानी है…एक इतिहास है…जो इसे अपनी आगोश में समेटा है…और आज सालों के बाद ये आखिरकार फिर से लौट आया है…जिसे आप देख रहे हैं..,इसका नाम चारसिंह खाड़ू है..भयानक सिंघ और हिम्मत से लोगों की तरफ देखने वाला खाड़ू…अचानक जमीन के भीतर आ निकला…एक तरफ बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने का ऐलान हो रहा था…तो दूसरी तरफ खाड़ू जमीन को चिरकर बाहर निकल रहा था..खाड़ू के आते ही जय जयकारे लगने लगे…क्योंकि ये खाड़ू अब भगवान को अर्पित किया जाएगा…तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि…किस तरह से चमत्कार हो गया है…और जमीन के अंदर से खाड़ू आ पहुंचा है…पहाड़ों में खाड़ू को देवी देवताओं को अर्पित किया जाता है….और इन्हें भगवान ही मानते हैं…खाड़ू के बारे में कहा जाता है कि…भगवान से मिलने् आता है…कुछ वक्त पहले खाड़ू अचानक लापता हो गया था…लोग खोजने लगे लेकिन खाड़ू नहीं मिला…लोगों ने सोचा शायद गुलदार का निवाला बन गया होगा…लेकिन ऐसा नहीं था…खाड़ू जमीन के अंदर था…और अब जैसे ही ऐलान हुआ कि..,.बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे…तो ऐसा लगा मानों खाड़ू तक ये शोर पहुंच गई..लोग जय बदरीनाथ और जय केदारनाथ के जयकारे लगा रहे थे…ये सुनकर खाड़ू जमीन के भीतर से निकलने लगा…खाड़ू को पता चल गया कि…भगवान के दर्शन करने की तारीफ आ चुकी है…खाड़ू को लेकर एक बार फिर से चर्चा हो रही है…कि खाड़ू ने बड़ी हिम्मत से काम लिया है…और एक बार फिर से भगवान को अर्पित होने के लिए आ गया है

खाड़ू एक भारी भरकम हो चुका है…और सिंघ बेहद बड़े नजर आ रहे हैं…खाड़ू के माथे पर एक तिलक नजर आ रहा है…खाड़ू के आने पर लोग स्वागत कर रहे हैं….और जमकर पूजा करने में लगे हैं…वीडियो में आप देख ही रहे हैं कि..एक शख्स कैसे खाड़ू के सिंघ को सहला रहा है…पहाड़ों की संस्कृति में खाड़ू अहम माना जाता है…मान्यता है कि….खाड़ू को अगर कोई भगवान को अर्पित कर दे तो उसी हर मन्नत पूरी हो जाती है..कहा जाता है कि…चारसिंह खाडू नंदा देवी राजजात यात्रा की अगवानी करता है…धार्मिक मान्यता के अनुसार खाडू को मां नंदा का देव रथ माना जाता है….यह 12 साल में नंदा देवी के मायके के क्षेत्र में पैदा होता है….खाडू की पीठ पर लादकर मां नंदा के सामान को कैलाश तक पहुंचाया जाता है…. होमकुंड से खाडू को पूजा-अर्चना के बाद कैलाश के लिए अकेले ही रवाना कर दिया जाता है….. जिसका आज भी नंदा के भक्त परंपरा के रूप में निर्वहन कर रहे हैं…आज भी देवभूमि में ये इतिहास चलता आ रहा है…कि खाड़ू के आते ही लोग स्वागत करते हैं…खाड़ू को लेकर जितनी बातें होती हैं…उतनी किसी भी जानवर की बातें नहीं होती हैं…इसिलिए खाड़ू की भक्ति में अहम योगदान निभाया जाता है…पहाड़ों पर खाड़ू के लापता होने के बाद से चर्चा होने लगी थी..कि उनकी मन्नतों का क्या होगा..लेकिन अब खाड़ू के वापस लौटने के बाद से नंदा देवी के जयकारे लग रहे हैं…और माता को पुकार रहे हैं