लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया है, लेकिन मुसलमानों का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद इसके विरोध में उतर आया है। Waqf Bill Challenge Court वक्फ़ संशोधन विधेयक के संसद से पास होने पर सभी दलों और नेताओं ने अपने अपने तरीके से इस पर अपनी राय रखी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कहा कि यह विधेयक पारदर्शिता, न्याय और सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुशासन और न्यायिक सुधारों को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पूर्ण पारदर्शिता, कानूनी स्पष्टता और न्यायिक संतुलन स्थापित करना है।
यह विधेयक किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लाया गया है। इसके लागू होने से झूठे और अवैध दावों पर रोक लगेगी, जिससे भूमि एवं संपत्ति से जुड़े विवादों का निष्पक्ष समाधान हो सकेगा। साथ ही यह सुनिश्चित होगा कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग न हो और वे समाज के व्यापक हित में उपयोग की जाएं। उधर भाजपा ने वक्फ संशोधन बिल के संसद से पारित होने पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इस बिल के अस्तित्व में आने के बाद राज्य में सभी तरह के अवैध कब्जों पर जारी हमारी कार्रवाई अधिक तेज होगी। प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों को सीमित करते हुए, संविधान के दायरे में लाना जरूरी था। क्योंकि कांग्रेस की सरकारों ने वोट बैंक के लालच में वक्फ कानून को जमीन अधिग्रहण का एक काकस तैयार कर दिया था।