Joshimath: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि उत्तराखंड के धार्मिक-सांस्कृतिक और पर्यटन के साथ साथ सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जोशीमठ शहर में हो रहे भू-धंसाव से मकानों, होटलों तथा सरकारी प्रतिष्ठानों में आ रही दरारों ने स्थानीय जनता ही नही पूरे राज्य की चिंता को बढ़ा दिया है। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले को गंभीरता से नही ले रही है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पिछले एक साल से जोशीमठ और उसके आस-पास के इलाकों में भूस्खलन और भू- धंसाव होने से सैकड़ों घरों में दरारें आ गयी हैं और हजारों लोग इन घटनाओं से प्रभावित हैं।
स्थानीय लोगों, राजनीतिक दलों और दुनिया भर के मीडिया ने इस सवाल को समय-समय पर उठाया है। परन्तु राज्य सरकार ने जोशीमठ को बचाने के लिए किसी सार्थक प्रयास की शुरुआत नही की है। मकान और खेतों में दरारें आने के बाद अब हाईटेंशन लाइन के खंभे भी तिरछे हो गए हैं। विश्व प्रसिद्ध औली रोप-वे के विशाल पोल भी तिरछे हो रहे हैं। इससे आसपास के घरों को खतरा पैदा हो गया है। अपने उद्यानों के लिए प्रसिद्ध जोशीमठ के बगीचों में लगाए माल्टे व सेब के पेड़ दरार गहरी होने के कारण गिरने शुरू हो गए हैं। अपने आशियानों को टुकड़े-टुकड़े होता देखते हुए जोशीमठ निवासी ढहते मकानों को छोड़ कर सड़कों के किनारे अलाव के सहारे ठिठुरन भरी सर्द रातें काटने को मजबूर हैं।
यशपाल आर्य ने बताया कि जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने सरकार द्वारा क्षेत्र के लोगों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। समिति के पदाधिकारियों के अनुसार जब वे लोग देहरादून में सीएम से मिले थे तो क्षेत्रीय विधायक राजेंद्र भंडारी भी उनके साथ थे। सीएम ने एक मिनट से भी कम समय में उनकी आधी-अधूरी बात सुनकर मुख्य सचिव से बात करने को कहा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रचंड बहुमत के अहंकार में सरकार अपने लोकतांत्रिक दायित्व भूल गयी है। नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को चेतावनी दी कि वह राजधर्म का निर्वहन कर जोशीमठ को उजड़ने से बचाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर जनता के सामने रखे और पीड़ितों का तुरंत विस्थापन करे।