उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग हादसे के बाद श्रमिकों की चहलकदमी बढ़ गई है। जिसके तहत अब मजदूर धीरे- धीरे काम पर लौट रहे हैं। Uttarkashi Silkyara Tunnel इन्हीं में से एक हैं 17 दिन तक फंसे रहने वाले पश्चिम बंगाल के सोविक भी टनल पर पहुंचे हैं। सिलक्यारा सुरंग में डी-वाटरिंग शुरू होने में सप्ताहभर का समय लगेगा। सुरंग में रेस्क्यू आपरेशन के बाद दोबारा एक कैमरा लगाया गया है, जिससे हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया अंदर रेत से भरे 50 कट्टे डाले गए हैं, जो कि भूस्खलन के मलबे के ऊपर लगाए जाएंगे। जिससे मिट्टी कटने का खतरा न रहे। बताया कि अंदर भी पुख्ता सुरक्षा इंतजाम कर जल्द डी-वाटरिंग शुरू की जाएगी।
यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग निर्माण को अनुमति मिलने के बाद श्रमिकों के धीरे-धीरे लौटने का सिलसिला जारी है। इन श्रमिकों में से वह भी है जो हादसे के दौरान सुरंग के अंदर फंस गए थे। अब तक ऐसे तीन श्रमिक काम पर वापस लौटे हैं। इनमें से एक 25 वर्षीय पेशे से इलेक्ट्रीशियन सोविक पाखिरा ने बताया कि जब वह सुरंग के अंदर फंसे तो पहले दिन तो घबरा गए थे। लेकिन जब बाहर से बातचीत शुरू हुई तो खुद को संभाला। छुट्टी के दौरान वह रिश्तेदारों के यहां गया, पूजा पाठ कराया। सोविक ने कहा कि, घर में कितने दिन बैठा रहता, काम तो करना ही पड़ेगा. जोखिम तो हर जगह है, जिधर भी काम करेंगे।