उत्तराखंड में चंपावत जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित राजकीय इंटर कॉलेज रमाक में इन दिनों कम से कम 39 छात्राओं को रोते, चिल्लाते और कक्षाओं से एक साथ भागते देखा गया है. उनके माता-पिता ने इसके लिए देवताओं के “क्रोध” को दोष दिया है। शिक्षा विभाग ने अजीब व्यवहार को मास हिस्टीरिया बताया है। मामले का पता बुधवार शाम को उस समय चला जब मुख्य शिक्षा अधिकारी जितेंद्र सक्सेना स्कूल पहुंचे।
पाटी ब्लॉक के रमक जीआईसी में 82 छात्राएं और 69 छात्र अध्ययनरत हैं। स्कूल प्रशासन के मुताबिक नवंबर के आखिरी सप्ताह से छठीं से इंटर तक की कई छात्राएं अचानक सिर घूमने, सिर दर्द होने की शिकायत के बाद रोने, चिल्लाने के बाद भागने लगती हैं। रोज मध्यांतर के बाद पांच से सात छात्राओं को इस तरह की शिकायत होती रही। करीब 39 छात्राएं इसकी चपेट में आईं। इसमें हर दिन नई छात्राएं इस गिरफ्त में आईं। स्कूल प्रशासन ने अभिभावकों की बैठक बुलाने के साथ ही मामले की विभागीय उच्चाधिकारियों को जानकारी दी।
प्रधानाचार्य एसपी गंगवार ने बताया कि पाटी ब्लॉक की स्वास्थ्य विभाग की टीम बुलाकर छात्राओं का इलाज कराया गया। पाटी की प्रभारी चिकित्साधिकारी गुरसरण कौर ने बताया कि देवीधुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से डॉ. ज्योति भट्ट के नेतृत्व में भेजी गई स्वास्थ्य कर्मियों की टीम ने 45 से अधिक छात्राओं का चिकित्सकीय परीक्षण किया। अभिभावकों ने इसके लिए पूजा अर्चना से लेकर देव डांगरों की गद्दी लगवाई। दावा किया गया है कि इसके बाद से अब स्थिति में सुधार हुआ है। बता दे,हिस्टीरिया आमतौर पर मनोविकार या मनोवैज्ञानिक समस्या है। इसमें कई बार किसी एक व्यक्ति की असामान्य हरकत की साथ के अन्य लोग नकल करते हैं। इसमें व्यक्ति भीतर ही भीतर घुट रहा होता है और अपना दर्द किसी को बता नहीं पाता।