उत्तराखंड में नशा मुक्ति केंद्रों की नहीं चलेगी मनमानी, पंजीकरण न कराने वाले केंद्रों पर कार्रवाई के निर्देश

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पिछले तीन सालों में नशा मुक्ति केंद्रों में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं। जिसमें देखा गया है कि बीते लंबे समय से प्रदेशभर में संचालित हो रहे नशा मुक्ति केंद्रों ने अब तक ना रजिस्ट्रेशन करवाया है और ना ही मानकों पर खरे उतरे हैं। Action against de-addiction centers ऐसे में अब प्रदेशभर में संचालित हो रहे तमाम नशा मुक्ति केंद्रों को मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। पंजीकृत नशा मुक्ति केंद्रों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है कि जिन केंद्रों का पंजीकरण नहीं कराया जाएगा उनके केंद्रों पर एक्ट के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार के अनुसार प्रदेश को 2025 तक नशा मुक्त करना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों में नशा ग्रस्त व्यक्तियों को मुख्यधारा से जोड़ने व पुनर्वास के लिए प्रदेश के समस्त जनपदों में नशा मुक्ति केंद्रों को प्रभावी बनाया जा रहा है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार के अनुसार नशामुक्ति केन्द्रों एवं मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के संचालन के लिए कोई मानक नही होने के कारण कई बार अखबारों एवं टेली मीडिया द्वारा कई संस्थानों में अनियमितताओं एवं दुर्व्यवहार की सूचना समय-समय पर आ रही थी। इस कारण सरकार ने इन संस्थानों के लिए नियम-विनियम बनाकर राज्य में प्रख्यापित कर दिये हैं, ताकि सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, नषामुक्ति केन्द्र व ऐसे पुनर्वास केन्द्र जहां मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति रखे जाते हैं, उन नियम के अनुरूप क्रियान्वित हो एवं सभी को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में पंजीकृत होना अनिवार्य है। सभी पंजीकृत संस्थानों का समय-समय पर अंकेक्षण एवं निरीक्षण भी कराया जायेगा एवं पंजीकृत करने की अंतिम तारीख 14 दिसम्बर है।