उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भूतपूर्व सैनिक दिवस के मौके पर शनिवार को पहली बार श्रद्धांजलि सभा हुई। 14 जनवरी को भूतपूर्व सैनिक दिवस के मौके पर यह पहली बार हुआ है, जब देहरादून के इस शौर्य स्थल पर जहां उत्तराखंड के तीनों सेनाओं से जुड़े शहीदों के नाम अंकित हैं वहां पर उनको श्रद्धांजलि दी गई। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और सेंट्रल आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने शौर्य स्थल पर पुष्प चक्र अर्पित कर उत्तराखंड के वीरगति प्राप्त योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भूतपूर्व सैनिकों की रैली को भी संबोधित किया।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तराखंड के वीरों ने देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए अपने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया है। इस मौके पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सेंट्रल आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी, मेजर जनरल संजीव खत्री भी मौजूद थे। लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी के नेतृत्व में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। बता दें कि इस शौर्य स्थल में उत्तराखंड के तीनों सेनाओं के शहीदों के नाम अंकित हैं। इसमें गढ़वाल रेजीमेंट, कुमाऊं रेजीमेंट, थलसेना, नौसेना, एयर फोर्स के शहीदों के नाम हैं। हालांकि अभी राज्य सरकार जो सैन्यधाम बना रही है वह अलग से बन रहा है। लेकिन यह देहरादून कंटोनमेंट के अंदर तीनों सेनाओं के लिए एक शौर्य स्थल है। यह शौर्य स्थल अब सेना के नियंत्रण में रहेगा और अब सेना इसकी देखभाल करेगी।
राजनाथ सिंह ने इस दौरान वेटरन की भीष्म पितामह से तुलना की। कहा कि समाज के लिए संकल्पित पूर्व सैनिक बड़े से बड़ा काम कर सकते हैं। जब-जब देश को जरूरत पड़ी उत्तराखंड के वीर अग्रिम पंक्ति में खड़े रहे। कारगिल से लेकर विभिन्न युद्धों में उत्तराखंड के वीरों ने अपने हौसले से दुश्मन को पस्त कर दिया। उनके बलिदान व त्याग को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। आज भारत पहले जैसा भारत नहीं रहा। एक वक्त था जब अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी बात गंभीरता से नहीं सुनी जाती थी। पर आज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कान खोलकर उसकी बात सुनी जाती है। कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति भोजन में नमक जैसी है। सभी वर्ग के लोग अपनी अपनी तरह से देश की प्रगति में योगदान दे रहे हैं। पर सेना ही ऐसी है जहां वेटरन के लिए एक अलग विभाग है।