उत्तराखंड की दो नहीं तीन राजधानी! | Uttarakhand News | MLA Umesh Kumar

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जी हां दोस्तो उत्तराखंडी स्थाई राजनधानी कहा है, कहां होगी ये सवाल बीते 25 साल से सियासी गलियारे में तैरता रहा है, लेकिन अब दो खबर मै बताने जा रहा हूं वो बेहद अहम है क्यों देहरादून, गैरसैंण नहीं अब कहीं और होगी अस्थाई राजधनी, क्योंकि आखिर गैरसैंण प्रदेश की मांग करने वाले जनप्रतिनिधि भी अब राजधानी के लिए तीसरे विकल्प को लेकर मोर्चा खोलने को मजूबर हो गए। Umesh Kumar Demand Haridwar Capital क्या है मामला कैसे होगो राधानी का समाधान, पूरी खबर बताने के लिए आया हु दोस्तो वैसे कब तक कोई एक मुदेद पर बात करे और उस पर सियासी बेरूखी उसको पीछे हटने को ही मजबूर नहीं करती बल्की वो फिर दूसरे तीसरे विकल्प को खोजने लगता है। दोस्तो आप ने हाल में देखा हो होगा, कि विधानसबा के विशेष सत्र में कैसे सारे मुद्दों को दरकिनार कर पहाड़ बनाम मैदान का मुद्दा हावी रहा एक तीखी बहस देखने को मिली थी। जब मूल निवास को लेकर बीजेपी के विधायक अपनी बात कर रहे थे, तो हरिद्वार के खानपुर से निर्दिलीय विधायक उमेश कुमार ने पूछ लिया था कि वो तो ठीक है लेकिन आप लोग गैरसैंण को स्थाई राजधानी की बात क्यों नहीं करते तो उस पर बीजेपी के विधायक चमोली ने कहा उत्तराखंड के चौधरी बाद में बनना आई।

वैसे वो पूरा खटना कर्म आपने देखा लेकिन अब विधायक उमेश कुमार के ताजा बयान ने एक बार फिर सियासी गलियारे में हड़कंप मचाया है। दोस्तो खानपुर विधायक उमेश कुमार ने हरिद्वार को उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी बनाने की पैरवी की है। उनका साफतौर पर कहना है कि हरिद्वार को अस्थायी राजधानी बनाई जाए। इसके पीछे की वजह भी उन्होंने बताई है. इसके अलावा उन्होंने सरकार को भी आड़े हाथों लिया है, तो आप कहेंगे कि ये वो उमेश कुमार हैं जो गैरसैंण की पैरवी करने वाले अब क्यों अस्थाई राजधानी हरिद्वार को बनाने की मांग करने लगे, वो भी आपको आगे बताउंगा। दरअसल, लक्सर शुगर मिल के पेराई सत्र के शुभारंभ मौके पर पहुंचे खानपुर विधायक उमेश कुमार ने मोर्चा खोलते हुए कह डाला कि हमें हरिद्वार में अस्थायी राजधानी चाहिए. उनका कहना है कि हरिद्वार को पराया करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में हरिद्वार को अस्थायी बनाया जाना चाहिए। क्योंकि, यहां पर काफी जमीन है, जिस पर तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित कर सकते है। गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने पर सरकार को सोचना चाहिए, बकौल उमुश कुमार जब सदन के भीतर पहाड़ को लेकर बयान दिया गया था। तब मैंने प्रेमचंद अग्रवाल को आईना दिखाया था मैंने गैरसैंण की बात की। गैरसैंण के लिए आंदोलन की बात मैंने ही की थी, लेकिन हमें पराया करने की कोशिश की जा रही है। हरिद्वार अस्थायी राजधानी चाहिए. गैरसैंण आपका मुद्दा है, वो आपका ही रहेगा। आपके सरकार को सोचना चाहिए कि गैरसैंण राजधानी बनानी है या नहीं, लेकिन हरिद्वार में हमें अस्थायी राजधानी चाहिए।

हरिद्वार में इतनी जमीन है कि हम 50 एयरपोर्ट भी खपा सकते हैं। 50 मेडिकल कॉलेज भी और 50 सचिवालय भी। दोस्तो बता दू कि उत्तराखंड रजत जयंती वर्ष के मौके पर देहरादून स्थित विधानसभा में 3 दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था। सत्र में सदन के भीतर कई मुद्दों पर चर्चा हुई। खासकर डेमोग्राफी चेंज, पलायन और मूल निवास आदि मुद्दों पर मैदानी विधायक भी लामबंद दिखे। खासकर लक्सर विधायक मोहम्मद शहजाद ने डेमोग्राफी चेंज और मूल निवास पर बोलते हुए पहाड़ के विधायकों को घेरा। जिससे सभी विधायक असहज नजर आए तो वहीं एक मौका ऐसा भी आया जब उमेश कुमार ने गैरसैंण राधानी की बात की। दोस्तो बीजेपी विधायक विनोद चमोली ने अपने वक्तव्य के दौरान गैरसैंण को लेकर भी अपनी बात रखी थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने वाले वाली सरकार बीजेपी ही है. हालांकि, हमें इसे स्थायी राजधानी बनाने या फिर इसको फंक्शनल करने के लिए एसीएस यानी एडिशनल चीफ सेक्रेटरी लेवल के अधिकारी को बैठाना चाहिए। गैरसैंण के विकास को लेकर गंभीर होकर रोड मैप तैयार करना चाहिए। इसी बीच खानपुर उमेश कुमार ने बीच में कह डाला कि गैरसैंण पर आपको अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए। जिस पर विनोद चमोली भड़क उठे और कहा कि ‘उत्तराखंड के चौधरी मत बने’ हमें ना बताएं कि हमें पहाड़ के लिए क्या करना है और क्या नहीं? जिस पर जमकर बहस हुई।

वहीं, अब खानपुर विधायक उमेश कुमार ने हरिद्वार को अस्थायी राजधानी बनाने की मांग कर डाली है। अब सब दोस्तो सबके मन में एक सवाल होगा कि आखिर सदन से सड़़क तक में अब तक गैरसैंण गैरसैंण करने वाला विधायक का मूड चेंज कैसे हो गया। दोस्तो उमेश कुमार ने अपने सोसल मीडिया प्लेट फार्म एक वीडियो डाला है साथ में लिखि जब मन प्रताड़ित महसूस करने लगता है तो पीड़ा जाहिर करनी पड़ती है। वैसे ये बात सच भी है कि जब सदन में जनभावनों वाले मुद्दों पर बात ना कर कोई कोई कहीं कहीं की बात होने लगे, जब सरकारों में आने वाली पार्टियां अपने दावों और वादों के मुतामिक काम ना करें तो शायद ऐसा होता होगा लेकिन सवाल दोस्तो अभी प्रदेश की स्थाई राजधानी का है। बीते 25 साल में प्रदेश को एक स्थाई राजधानी नहीं देने वाली प्रदेश की अब तक की सरकारों को घेरने वाले भी अब अपने अलग राह चुनने लगे हैं लेकिन सवाल इतना भर नहीं है पहला तो ये कि राजधानी कहां हैं उत्तराखंड की। क्या अब हरिद्वार को राजधानी बनाया जाएगा, ये वक्त बताएंगा लेकिन गैरसैंण तो गैर ही रहा है उसको लेकर क्या सवाल करना।