Uttarakhand BJP: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार को एक साल पूरे हो चुके हैं। इस एक साल में धामी सरकार अपने कुछ बड़े फैसलों को लेकर चर्चाओं में रही है, लेकिन भाजपा की सरकार के लिए अगला एक साल ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है। दरअसल, इस दौरान पंचायत, निकाय और लोकसभा चुनाव के साथ ही दूसरी कई चुनौतियां हैं। जिससे पार पाना धामी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। धामी सरकार ने अपने एक साल के दौरान तीन गैस सिलेंडर मुफ्त देने, महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण देने के लिए कानून बनाने, समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने और धर्मांतरण कानून बनाने जैसे कुछ बड़े फैसले लिये। जिससे धामी सरकार ने खूब वाहवाही लूटी। इन फैसलों से धामी सरकार के एक साल का सफर आसान हो गया, मगर अब आने वाला साल धामी सरकार के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है। ऐसी एक नहीं बल्कि कई चुनौतियां सरकार के सामने होंगी जिनसे पार पाना बेहद जरूरी होगा।
मानसून सीजन में आपदा की आशंकाओं पर बेहतर व्यवस्था: जोशीमठ समेत मानसून सीजन में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में आपदा के असर को कम करने का दबाव भी सरकार पर होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले ही राज्य सरकार जोशीमठ आपदा को लेकर भारी दबाव में है। अब मानसून सीजन में ऐसी घटनाएं बढ़ने की आशंकाओं के बीच सरकार को त्वरित फैसलों के जरिए जन आकांक्षाओं पर खरा उतरना होगा।
पंचायत और निकाय चुनाव में बेहतर परिणाम पाने की चुनौती: अगले एक साल के दौरान राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं। यही नहीं शहरों में निकाय चुनाव को भी चुनाव आयोग द्वारा संपन्न कराया जाना है। ऐसे में पंचायतों के साथ निकाय चुनाव में भी भाजपा की बेहतर परफॉर्मेंस को बनाए रखना न केवल भाजपा के लिए जरूरी होगा। बल्कि सरकार की भी यह एक अग्निपरीक्षा होगी।
लोकसभा चुनाव की चुनौती: आगामी लोकसभा चुनाव पुष्कर सिंह धामी सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण होगा। इसे धामी सरकार के फाइनल के रूप में भी माना जा सकता है। लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 5 लोकसभा सीटों को जीतने का सरकार पर भारी दबाव होगा। इन पांचों सीटों को भाजपा लगातार दो बार जीत चुकी है। ऐसे में जीत की हैट्रिक को लगाने की बड़ी चुनौती सरकार के सामने होगी। यह स्थिति धामी सरकार के भविष्य को भी तय करेगी।
चारधाम यात्रा का सफल संचालन सरकार की जिम्मेदारी: अप्रैल महीने में उत्तराखंड में चारधाम यात्रा भी शुरू होने जा रही है। इस यात्रा को सफलता के साथ पूरा करने की धामी सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। इसके लिए अभी से तमाम तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं।
राज्य के आर्थिक हालातों को सुधारना होगा मुश्किल: उत्तराखंड के लिए सबसे बड़ी परेशानी राज्य के खराब आर्थिक हालात भी हैं। कर्ज के बढ़ते दबाव के कारण सरकार विभिन्न योजनाओं को आगे बढ़ाने में मुश्किलों का सामना कर रही है। केंद्रीय बजट ही राज्य का सहारा है। अब इन स्थितियों के बीच राज्य के राजस्व को बढ़ाने और आर्थिक हालातों को सुधारने के लिए नए क्षेत्र विकसित करने का बड़ा दबाव सरकार के सामने होगा।