उत्तरकाशी जिले के धराली में मंगलवार को आई प्राकृतिक आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य जारी है। तेज बारिश से आई इस अचानक बाढ़ ने घरों, इमारतों, पुलों, सड़कों को बहा दिया और कई लोगों की जानें ले लीं। ISRO Uttarkashi Dharali Pics अब राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) और इसरो ने सैटेलाइट तस्वीरों की मदद से इस नुकसान का तेजी से आकलन किया है। इनमें पहली तस्वीर 13 जून 2024 की है। दूसरी तस्वीर 7 जुलाई 2025 की है, जो आपदा आने के बाद तीसरे दिन ली गई है। द्वारा अपनी वेबसाइट पर जारी की गई इन तस्वीरों में पिछले साल 13 जून को ली गई फोटो में खीर गंगा नदी के सामने और अगल-बगल तथा भागीरथी के तट पर बसे धराली गांव और उसके बाजार की तस्वीरें दिखाई दे रही हैं। खीरगंगा के बहाव क्षेत्र में जब वो पहाड़ी से उतरकर मैदानी इलाके प्रवेश करती है, तो उसके ठीक सामने होटल, घर और बड़े-बड़े पेड़ पौधे दिखाई दे रहे हैं। कुल मिलाकर एक पहाड़ी कस्बे की बसावट दिख रही है।
इसरो ने जो दूसरी तस्वीर जारी की है वो उत्तरकाशी धराली में 5 अगस्त को आई आपदा के बाद 7 अगस्त 2025 की है। इस तस्वीर में धराली का खीरगंगा नदी के सामने और अगल-बगल बसा इलाका पूरी तरह वॉश आउट हुआ दिख रहा है। वहां सिर्फ मैदान दिख रहा जिस पर मलबा जमा हुआ है। खीर गंगा ने जो तबाही मचाई और अपने साथ वो जितना मलबा लाई उसने भागीरथी की लय और रफ्तार को भी बिगाड़ दिया है। इसरो ने यह भी पुष्टि की कि धराली में कई इमारतें या तो बह गईं या दब गईं। इसरो ने कहा कि बाढ़ के कारण का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक विश्लेषण चल रहा है। इसने आगे कहा कि यह घटना हिमालयी बस्तियों की बढ़ती भेद्यता को उजागर करती है। धराली गाँव में मंगलवार को आई विनाशकारी बाढ़ का कारण सिर्फ़ भारी बारिश ही नहीं थी। एक प्रारंभिक भूवैज्ञानिक आकलन एक कहीं अधिक जटिल और हिंसक कारण का संकेत देता है।