उत्तराखंड का बहुचर्चित हत्याकांड अंकिता केस को लेकर एक बार फिर राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एक तरफ हाईकोर्ट ने एसआईटी से लिखित जबाव मांगा है तो दूसरी तरफ अंकिता के माता, पिता ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। अंकिता के परिजन अब तक की जांच से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में अंकिता केस फिर से धामी सरकार के लिए मुश्किलें खडी कर सकता है। हाईकोर्ट ने अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एसआईटी को लिखित रूप से यह बताने को कहा है कि रिजॉर्ट में जिस स्थान पर बुलडोजर चलाया गया, वहां से कौन-कौन से सबूत एकत्र किए गए। कोर्ट ने एसआईटी को 11 नवंबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
पौड़ी गढ़वाल निवासी आशुतोष नेगी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि पुलिस व एसआईटी इस मामले के महत्वपूर्ण सबूतों को छिपा रही है। बता दें कि एसआईटी अब तक इस मामले में एक माह गुजर जाने के बाद चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है। अंकिता केस में पहले ही दिन से जांच को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। सबसे पहले पटवारी की भूमिका, फिर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में महिला डॉक्टर न होना, वनंतरा रिजॉर्ट में बुलडोजर चलाना, चार्जशीट में देरी और सबुतों के साथ छेड़छाड़ के अलावा वीआईपी क नाम सार्वजनिक न होने को लेकर अंकिता केस सवालों के घेरे में हैं। विपक्ष भी इस पूरे मामले में पहले ही दिन से सीबीआई जांच की मांग करता आ रहा है।