उत्तराखंड: Uniform Civil Code का ड्राफ्ट तैयार, जानें विशेषज्ञ समिति ने क्या कुछ रखा खास

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देहरादून: उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जो सबसे पहले Uniform Civil Code (यूसीसी) कानून लाने जा रहा है। 30 जून से पहले इसका पूरा लेखा-जोखा सरकार को ड्राफ्ट के रूप में सौंपा जाना है। हालांकि यूसीसी के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने प्रदेश की परिस्थितियों के अनुरूप ब्लूप्रिंट तैयार किया है। साथ ही कमेटी ने ड्राफ्ट तैयार करने के लिए करीब 2 लाख 30 हजार लोगों से सुझाव लिए थे। उन सुझावों पर कमेटी ने अंतिम मुहर लगा दी है। माना जा रहा है कि 30 जून तक सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली कमेटी इसका पूरा ड्राफ्ट सरकार को सौंप देगी। ऐसे में सभी की इच्छा है कि आखिरकार उत्तराखंड में तैयार हो रही देश की पहली यूनिफॉर्म सिविल कोड का ब्लूप्रिंट कैसा होगा।

सीएम धामी ने कहा कि राज्य सरकार का संकल्प है कि उत्तराखंड में यूसीसी को लागू किया जाए। जिसके लिए साल 2022 में सरकार के गठन के बाद ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। हालांकि, यूसीसी के लिए गठित कमेटी में पिछले एक साल के भीतर ड्राफ्ट का मसौदा लगभग तैयार कर लिया है। ऐसे में उम्मीद है कि 30 जून तक गठित कमेटी ड्राफ्ट, शासन को सौंप देगी। जिसके बाद इसे उत्तराखंड में लागू कर दिया जाएगा। कांग्रेस की मानें तो भाजपा के लिए ये मुद्दे शुरू से ही राजनीतिक हथियार के रूप में रहे हैं, जो कभी जनता की समझ में नहीं आए हैं। भाजपा के लिए धारा 370 और यूसीसी कानून बहुत पहले से ही राजनीतिक एजेंडे में शामिल होने वाले विषय रहे हैं। जिस पर अब केंद्र सरकार चुप हैं, जबकि यूसीसी का विषय केंद्र सरकार से जुड़ा हुआ है। ऐसे में अगर केंद्र की भाजपा सरकार सही है, तो केंद्र में इस विषय को लाना चाहिए, ताकि देश के अन्य राज्य भी इसे अपना सकें।

यूसीसी के लिए गठित ब्लूप्रिंट के मुख्य बिंदु-

  • पॉलीगैमी या बहुविवाह पर लगेगी रोक।
  • लड़कियों की शादी की बढ़ाई जा सकती है उम्र।
  • लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन होगा जरूरी।
  • उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर मिलेगा हिस्सा।
  • एडॉप्शन सभी के लिए होगा मान्य।
  • गोद लेने की प्रक्रिया में होगा सरलीकरण।
  • मुस्लिम समुदाय में होने वाले हलाला और इद्दत पर होगी रोक।
  • शादी के बाद रजिस्ट्रेशन होगा अनिवार्य।
  • बिना रजिस्टर की शादी होगी अमान्य।
  • शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर किसी भी सरकारी सुविधा का नही मिलेगा लाभ।
  • तलाक का जो नियम पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा।
  • नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी।
  • पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
  • यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी हो सकता है प्रावधान।
  • जनसंख्या नियंत्रण के लिए तय की जा सकती है बच्चों की सीमा।