Uttarakhand Former MLA Confrence: उत्तराखंड में ऐसा पहली बार हुआ जब प्रदेश के पूर्व विधायकों ने अपना संगठन बनाकर एक सम्मेलन किया। पूर्व विधायकों का इस तरह एकत्रित होना राजनीतिक रूप से कई संदेश और कयासबाजी को जन्म दे रहा है। इससे इतर पूर्व विधायकों ने 21 जनवरी को विधानसभा में सम्मेलन के दौरान शिरकत करते हुए विभिन्न सुझाव भी दिए हैं। पूर्व विधायकों ने उत्तराखंड में भर्ती गड़बड़ी मामले में सीबीआई जांच, संबंधित राजनेताओं नौकरशाहों पर कड़ी कार्रवाई, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली प्रदेश में रोजगार पर स्थानीय युवाओं को 70% अवसर देने आदि पूर्व विधायकों की कई मांगों को लेकर चर्चा की।
पूर्व विधायकों के इस सम्मेलन में करीब 40 विधायक शामिल हुए। उत्तराखंड के पूर्व विधायक 113 हैं सबको इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए कहा गया था। पूर्व विधायकों के एजेंडे में कई बातें हैं जिनको इस बैठक में चर्चा के लिए रखा गया। पूर्व विधायकों के इस संगठन का अध्यक्ष लाखीराम जोशी को बनाया गया है। पूर्व विधायकों के इस सम्मेलन में कई पूर्व विधायक मौजूद रहे, जिसमें हरक सिंह रावत, शूरवीर सिंह सजवाण, हीरा सिंह बिष्ट और पूर्व सीएम हरीश रावत भी शामिल हुए। पूर्व विधायकों का कहना है कि वो जनप्रतिनिधि के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं और इस सम्मेलन से अपनी बात को सरकार तक रखना चाहते हैं।
हरीश रावत ने कहा कि ये अच्छी पहल है कि किस तरीके से पूर्व विधायक प्रदेश के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे साथ ही अपनी कई मांगे भी रख सकेंगे। हालांकि इस दौरान इनके बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली। सम्मेलन में भर्ती घोटाले को लेकर सरकार की आलोचना पर किच्छा विधानसभा से विधायक रहे राजेश शुक्ला भड़क गए। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का जो उद्देश्य था उसको लेकर चर्चा होनी चाहिए, जबकि सरकार की आलोचना हो रही है। इसके बाद वो सम्मेलन छोड़कर चले गए। पूर्व विधायकों का कहना है कि उन्होंने जिन मुद्दों को अपने सम्मेलन में शामिल किया है उनसे सरकार को अवगत कराया जाएगा। देखने वाली बात होगी कि उत्तराखंड में पूर्व विधायकों का बना यह पहली बार संगठन, आने वाले समय में किस तरह से आगे बढ़ता है। साथ ही पूर्व विधायकों की मांग पर सरकार किस तरह का निर्णय लेती है।