Dehradun News: उत्तराखंड में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की शामत आ रखी है। बीते दिनों पूर्व आईएएस रामविलास को जेल की हवा खानी पड़ी तो चमोली हादसे के बाद भी विद्युत और पेयजल निगम के अधिकारियों को निलंबित किया गया। इसके बाद देहरादून में रजिस्टार ऑफिस में फाइलों की गड़बड़ी मामले में रजिस्ट्रार को हटाया गया तो वहीं अब उद्यान निदेशक रहे एचएस बवेजा को लेकर भी सरकार ने सख्त एक्शन ले लिया है। बवेजा के खिलाफ एसआईटी गठित कर जांच के आदेश दे दिए गए हैं। गौर हो कि इससे पहले उद्यान विभाग के निदेशक हरमिंदर सिंह बवेजा को लेकर वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत सरकार के पास पहुंची थी। लंबे समय से अनियमितताओं के मामले में रडार पर चल रहे बवेजा को निलंबित तक कर दिया गया था। बवेजा के ऊपर आरोप था कि उन्होंने नियमों की अनदेखी करते हुए एक निजी कंपनी को राज्य में नर्सरी का लाइसेंस और पौधा वितरण का काम दिया।
बीती 12 जून को बवेजा को तमाम अनियमितताओं के चलते उद्यान निदेशक के पद से निलंबित कर दिया था। इसके बाद वो अपनी सेवाएं गढ़वाल कमिश्नर के दफ्तर में दे रहे थे। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बवेजा पर वित्तीय अनियमितताओं का ही आरोप था। विधानसभा चुनावों के दौरान जब राज्य में फल मसाले सब्जी इत्यादि के महोत्सव आयोजित किए गए थे, तब ये कहा गया था कि उन्होंने जरूरत से ज्यादा खर्च अपनी फाइलों में दिखाया था। इतना ही नहीं अपने सरकारी आवास और अपने दफ्तर में भी फिजूलखर्ची कर वो विभाग की आंखों में खटक रहे थे। लिहाजा, निलंबन के बाद मुख्यमंत्री दफ्तर से उनके खिलाफ एसआईटी जांच की सिफारिश कर दी गई है। एसआईटी में 6 अधिकारियों को शामिल किया गया है। जिसमें अल्मोड़ा एसएसपी, आईजी और सीआईडी के अधिकारी शामिल रहेंगे। एसआईटी की टीम में कृषि विभाग से जुड़े अधिकारी को भी रखा गया है, ताकि विभाग की अनियमितताओं को बारीकी से परखा जा सके।