हरिद्वार: 14 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा मंगलवार को श्रद्धालुओं की संख्या का नया रिकॉर्ड बनाकर संपन्न हुई। दो साल से कांवड़ मेला नहीं हुआ था। इस बार बड़ी संख्या में कांवड़िए धर्मनगरी पहुंचे। कांवड़ मेला सेल के प्रभारी बीएल भारती ने बताया, 3.80 करोड़ कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लेकर वापस लौटे। कांवड़ियों की भारी भीड़ से फाेर-लेन हरिद्वार-दिल्ली हाईवे तक जाम हो गया। कांवड़ मेला तो सकुशल संपन्न हो गया, लेकिन धर्मनगरी में कोरोना प्रसार का खतरा एक बार फिर डराने लगा है। इसकी वजह कांवड़ मेले में उमड़ी तीन करोड़ 79 लाख 70 हजार लोगों की भीड़ है।
कांवड़ मेले में कुंभ की तरह कई राज्यों से पहुंचे लोग गंगा स्नान कर वापस लौटे हैं। इस अवधि में उत्तराखंड ही नहीं, देशभर में कोरोना के नए मामले भी तेजी से बढ़े हैं लेकिन हरिद्वार में सैंपलिंग बंद रही है। कांवड़ अवधि के 13 दिनों में मात्र 1907 कोरोना आशंकितों के सैंपल लिए गए। वायरल फीवर और डायरिया के बढ़ते मामलों ने कोरोना संक्रमण के खतरे को और अधिक प्रबल बना दिया है। औसतन प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख लोग वाया हरिद्वार होकर आवाजाही करते हैं। हरिद्वार पहुंचने पर गंगा स्नान भी करते हैं। पर्व स्नानों पर संख्या बढ़कर सात से 10 लाख तक पहुंच जाती है लेकिन इस बार कांवड़ मेले में एतिहासिक भीड़ उमड़ी।
उत्तराखंड में कोरोना के मामलों में तेजी देखी गई है। प्रदेश सरकार को महीनों बाद 25 जुलाई को कोविड से बचाव के लिए एसओजी जारी करनी पड़ी है। मेला अवधि में हरिद्वार में कोविड आशंकितों की जांचें गिनती की हुईं। पुलिस-प्रशासन के अलावा स्वास्थ्य महकमा कांवड़ मेला ड्यूटी में लगा रहा। कांवड़ रूट पर अस्थायी अस्पतालों में बीमार कांवड़ियों का प्राथमिक उपचार हुआ। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 13 जुलाई तक जिले में कोविड जांचों की कुल संख्या 2624745 थी। 26 जुलाई को यह संख्या 2626652 पहुंची। यानी 13 दिनों में मात्र 1907 सैंपल हुए। औसतन प्रतिदिन 146 लोगों का सैंपल हुआ, जबकि कांवड़ से पूर्व सामान्य दिनों में हरिद्वार में 130 से 150 सैंपल रोजाना होते थे। कांवड़ शुरू होने से पहले हरिद्वार में एक्टिव केस सात थे, जो मेले के समापन पर 11 हैं। सैंपलिंग नहीं होने से नए मरीज नहीं मिल सके हैं।
सरकार की नई एसओपी के बाद अब 28 जुलाई से सभी सरकारी अस्पतालों में कोविड टेस्टिंग करने और बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। डॉ. राजेश गुप्ता, सीएमएस मेला अस्पताल का कहना है कि, मेला अस्पताल में जो भी मरीज कोविड टेस्ट करवाने स्वयं आ रहा था, उसकी जांच की जा रही है। कांवड़ मेले के दौरान अलग से कोई कोविड जांच की डेस्क नहीं बनाई गई थी।