कांवड़ मेला संपन्न, धर्मनगरी में लगा कूड़े का ढेर अब निगम के लिए चुनौती बनी सफाई व्यवस्था

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हरिद्वार: कांवड़ मेला संपन्न हो गया है और यात्री वापस जा चुके हैं, पीछे छूटे हैं कूड़े के ढेर। हरिद्वार के गंगा घाट हों या पार्किंग स्थल, हाईवे अथवा शहर की गलियां चारों ओर गंदगी के अंबार नजर आ रहे हैं। करीब ढाई साल बाद हरिद्वार में आयोजित हुए कांवड़ मेले ने पिछले कई सालों रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। शिवरात्रि पर हरिद्वार का कांवड़ मेला भी संपन्न हो गया। धर्मनगरी हरिद्वार कूड़े के ढेर में तब्दील हो गई है।

इस अपार जन सैलाब के बीच आस्था के बोझ तले नैतिकता कराहती रह गई। स्वच्छ भारत के संकल्प माना बिसरा दिए गए। आलम यह रहा कि यात्रा के दौरान जमकर पॉलीथिन का इस्तेमाल हुआ। गंगा स्वच्छता के लिए तैनात स्वयं सेवक भी यात्रियों को गंगा तट पर कूड़ा डालने से नहीं रोक पाए। शिवरात्रि से चार दिनों पहले हरिद्वार के अंदर कांवड़ियों का ऐसा हुजूम आया कि हरिद्वार नगर निगम के कर्मचारियों को सफाई करने तक का मौका भी नहीं मिला और इसी वजह से हरिद्वार नगर निगम में कूड़े के ढेर लग गया।

इतनी बड़ी मात्रा में पसरे कूड़े के ढेर के कारण संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा भी पैदा हो गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कीटनाशकों का छिड़काव शुरू कर दिया है। बिड़ला घाट पर रहने वाले प्रभात कुमार का कहना है कि सफाई व्यवस्था में हरिद्वार नगर निगम कांवड़ मेले के दौरान पूरी तरह से फ्लॉप रहा है। जब से मेला शुरू हुआ तभी से नगर निगम का एक भी कर्मचारी बिरला घाट पर झाड़ू लेकर साफ सफाई करता नजर नहीं आया। साफ-सफाई न होने के कारण घाट पर गंदगी का ढेर लगा हुआ है। प्लास्टिक पॉलीथिन बैन करने के बावजूद पूरे मेले में इनका धड़ल्ले से ना केवल प्रयोग हुआ, बल्कि घाटों पर खुली बिकती हुई नजर आई।

लेकिन कांवड़ मेला समाप्त होते ही निगम द्वारा युद्धस्तर पर सफाई का काम शुरू कर दिया गया है। पूरे नगर निगम क्षेत्र को 15 जोन में बांट दिया गया है, जिसमें प्रत्येक जोन पर एक सेनेटरी इस्पेक्टर सुपरवाइजर के साथ 50 कर्मचारियों को तैनात कर दिया गया है। सफाई का यह काम दिन ही नहीं बल्कि रात में भी तब तक लगातार किया जाएगा, जब तक क्षेत्र में फैले कूड़े को पूरी तरह से साफ न कर दिया जाए। क्योंकि अभी भी घाटों पर कांवड़ियों की थोड़ी भीड़ है।