ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का दूसरा चरण कर्णप्रयाग से जोशीमठ तक नहीं, बल्कि जोशीमठ से 35 किलोमीटर पहले पीपलकोटी तक होगा। भूगर्भीय सर्वेक्षण के बाद रेल विकास निगम ने सात माह पूर्व जोशीमठ क्षेत्र की भौगोलिक संरचना को परियोजना के अनुकूल नहीं पाया था। इसलिए अब इस परियोजना का अंतिम पड़ाव पीपलकोटी होगा। रेल विकास निगम की ओर से करीब 30 किमी लंबे इस ट्रैक पर 12 किमी शैकोट तक सर्वे पूरा करके रेलवे बोर्ड को रिपोर्ट भेज दी गई है।
वर्तमान में भूधंसाव के चलते जोशीमठ क्षेत्र खतरे की जद में आ गया है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक जाने वाली रेल लाइन का विस्तारीकरण दूसरे चरण में कर्णप्रयाग से जोशीमठ तक होना था। लेकिन, रेल विकास निगम ने सात माह पूर्व जोशीमठ तक रेल लाइन ले जाने से कदम पीछे खींच लिए। इसका कारण यही माना गया कि पीपलकोटी से जोशीमठ तक भौगोलिक संरचना और भूगर्भीय सर्वेक्षण इसके अनुकूल नहीं है।
जोशीमठ तक रिपोर्ट सही नहीं आने के कारण रेल विकास निगम ने योजना के दूसरे चरण के तहत अब पीपलकोटी तक रेलवे लाइन ले जाने का निर्णय लिया है। करीब 30 किमी लंबे इस ट्रैक पर विभाग की ओर से भूगर्भीय सर्वेक्षण करवाया गया है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का विस्तारीकरण भौगोलिक संरचना और सर्वे रिपोर्ट के बाद जोशीमठ के बजाय पीपलकोटी तक किया जाना प्रस्तावित है। अब तक परियोजना की व्यावहारिकता की आकलन रिपोर्ट सही है। गोपेश्वर तक फिजिबिलिटी सही पाई गई है। योजना धरातल पर आती है तो भविष्य में इस लाइन को चमोली और गोपेश्वर से भी जोड़ा जा सकता है।