जोशीमठ और जाखन जैसे विस्थापन की आस ताकते सैकड़ों गांव, 2022 में सिर्फ 118 परिवार को मिला आसरा

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Villages Displacement in Uttarakhand: उत्तराखंड में हर साल हजारों लोग दैवीय आपदा से प्रभावित होते हैं। सैकड़ों लोग अपने घरों से बेघर हो जाते हैं या फिर डर के साये में जीने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसे में सुरक्षित जगह पर विस्थापित होने वाले इन लोगों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। पिछले साल 118 परिवार को विस्थापित किया गया। जबकि राज्य गठन के बाद से 2022 तक 3 हजार से ज्यादा परिवारों को विस्थापन किया गया है। साल 2023 की शुरुआत में उत्तराखंड के जोशीमठ शहर का हाल बेहाल होते हुए देखा गया था। लेकिन अब जोशीमठ शहर जैसा हाल उत्तराखंड के कई अन्य शहरों में भी देखने को मिल रहा है। हाल ही में देहरादून के विकासनगर के जाखन गांव की भी तस्वीरों में देखा गया कि किस तरह ग्रामीणों को अपने आशियाने छोड़ने पड़े रहे हैं।

उत्तराखंड में भले ही पिछले कुछ सालों में विस्थापन की प्रक्रिया ने गति पकड़ी है, लेकिन अभी भी तकरीबन 200 परिवार ऐसे हैं जो की एक सुरक्षित जगह पर विस्थापन की आस लगाए बैठे हैं। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि 2022 में 118 परिवारों को सुरक्षित जगह पर विस्थापित किया गया। यह प्रक्रिया लगातार जारी है। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि प्रदेश भर में लगातार बढ़ रहे प्राकृतिक आपदा के प्रकोप को देखते हुए विस्थापन की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए जिलों के जिलाधिकारियों को पूरी तरह से अधिकृत कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में जिलाधिकारी को यह अधिकार दे दिए गए हैं कि वह जरूरी और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तुरंत विस्थापन की प्रक्रिया को अमल में लाएं। इसको लेकर शासन स्तर पर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा तत्काल बजट जारी कर दिया जाएगा।

उत्तराखंड में राज्य गठन से लेकर अब तक 3000 से ज्यादा परिवारों को विस्थापन के लिए चिन्हित किया गया है। अब तक किए गए विस्थापन पर तकरीबन सवा सौ करोड़ रुपए का बजट भी खर्च किया जा चुका है। साल 2011 से उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा प्रदेश में पुनर्वास नीति के तहत विस्थापन को व्यवस्थित तरीके से किए जाने को लेकर प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसके बाद 2012 से लेकर 2022 तक प्रदेशभर के तकरीबन 100 गांव में दो हजार परिवारों का विस्थापन किया गया। जबकि हर साल असुरक्षित परिवारों की संख्या और बढ़ जाती है। इस साल जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के साथ-साथ कई अन्य जगहों पर आई दैवीय आपदा और अब विकासनगर के जाखन गांव में जमीनों में पड़ रही दरारों के चलते यह पूरा गांव भी डर के साये में जीने के लिए मजबूर है। इसी के साथ-साथ प्रदेश में विस्थापित किए जाने वाले परिवारों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है।