दगड़ियो पहाड़ दर्द से कराह रहा है, धराली में हालात को सामान्य होने में वक्त लगेगा। रेस्क्यु हो रहा है, शासन प्रशान सेना सभी लगे हुए हैं लेकिन आज मै थोड़ा हटकर बात करूंगा तो आप मेरा साथ अंत तक दीजिएगा। उत्तरकाशी आपदा में जब धरती कांप रही थी, तब कुछ आसमान से ली गई तस्वीरें मेरे तक पहुंची वो आपको दिखाई। किसी क्या हो रहा है जमीन पर उस तबाह हो चुकी जमीन पर लेकिन कुछ एक तस्वीरें ऐसी थी जो जमीन पर उतकर ही दी जा सकती हैं। जैसे प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का धराली में डटे रहना वहां के हालात पर वहीं से नजर रखना। प्रभावित लोगों से सीथे संवाद करना उनकी परेशानियों को समझना। मेने ऐसी बहुत सी तस्वीरें आप तक पहुंचाई हैं लेकिन एक और तस्वीर मेरे पास आई। जीसमें एक एक सख्स जान की परवाह किए बिना लोगों के बीच पहुँचने को आतुर है। दोस्तो पहली नजर इस तस्वीर को देखकर ऐसा लगा कि कोई रेस्क्यू का पार्ट होगा कोई जवान होगा लेकिन जब ये सख्स कैमरे के सामने आया तो ये कौई और नहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा निकले। मै इस तस्वीर को लेकर थोड़ा बहुत अपनी समझ को साझा करूं या छोटा मोटा विशलेषण इस तस्वीर पर करूं। इसमें एक बात है कि उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की ये तस्वीरें आज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। एक ओर प्रशासन ने उन्हें दो दिनों तक भटवाड़ी में रोकने की कोशिश की — कोई ठोस कारण नहीं दिया गया। दूसरी ओर, करन माहरा ने रस्सियों के सहारे खड़ी चट्टानें पार कर धराली के उस ज़मीनी सच तक पहुँचने का फैसला किया, जहाँ आज भी लोग मलबे में अपने प्रियजनों को तलाश रहे हैं ये सच है।
तस्वीर देखिए पहली तस्वीर में वे खड़ी चट्टान से नीचे उतरते दिखते हैं, हाथ में रस्सी थामी हुई और आंखों में सिर्फ एक फिक्र“जो वहाँ हैं, उनका क्या?” शायद ये बात हो। दूसरी तस्वीर में वे पत्थरों और मलबे के बीच आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं, उस रास्ते पर जहाँ अब कोई सड़क नहीं बची उन्होंने पहले ही फेसबुक पर लिखा था:”सरकार रास्ते रोक सकती है,लेकिन इंसानियत का सफ़र नहीं। जब सरकार संवेदनहीन हो जाए,.तब इंसानियत ही सबसे बड़ा संघर्ष बन जाती है। अब यहां तो पहले रास्ता कुदरत ने रोक दिया सब का ये सच है और करन माहरा का रास्ता प्रशासन ने रोक दिया। यानि करन माहरा के लिए भी कम नहीं दिखाई देती। वैसे दगड़िओ ये बात भी तो सच है ना कि आज के इस मोबाइली दौर में केमरे वाले दौर में हर कोई फ्रेम रहना चाहता है ना अब ये दुनिया ही फ्रेमी हो गई है आपदा में जहां कई लोग कैमरों और घोषणाओं तक सीमित दिखाई देते हैं। दगड़ियो कई लोंगो को ये लगेगा कि मै करन माहरा को हीरो बना रहा हूं. और भी न जाने क्या-क्या लेकिन आप उस सच को भी तो नकार नहीं सकते हैं कि जमीन पर उतरना आज सबसे बड़ी राजनीति हैं। ये राजनीति इंसानियत की राजनीति होती है, हो सकता है मै करन माहरा को हीरो बना रहा हूं। लेकिन मैने प्रदेश के मुख्ममंत्री धामी को असली हीरो बताया है। सेना प्रशासन वो सब जो इस आपदा में जमीन पर उतरकर काम कर रहे हैं वो मेरे लिए असली हीरो हैं।
दगड़िओ उत्तरकाशी की धराली घाटी इस वक्त एक त्रासदी के दौर से गुजर रही है। बादल फटने के बाद चारों ओर तबाही का मंजर है। सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं, मलबे में दबे घर, टूटी सड़कें और टूटी उम्मीदें। ऐसे में एक शख्स ने प्रशासन की तमाम रोकों को दरकिनार कर इंसानियत की राह चुनी तो क्या गलत कर लिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, जो लगातार दो दिनों तक भटवाड़ी में रोके गए हो सकता है कि उन्हें रोकना सही हो क्योंकि पहाड़ पर हालात ठीक नहीं दिखते। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट मे अपनी संवेदनाओँ को लिखा है। अब कुछ लोग ये कहेंगे कि आपने सियासी चश्मे से भी तो खबर बतने की बात की थी हां याद है मुझे हां ये भी हो सकता है कि करन माहरा इस आपदा को अवसर में बदला चाह रहे हों वो सिर्फ ये दिखाना चाह रहे हों कि देखो मै भी गया मेने ये किया। मेने सड़क साफ की तो वीडियो बनाया उसे साझा किया। मै रस्सी से गधेरे में उतरा ये सब वो भी क्रेडिट लेना चा रहे हों तो साहब अब ऐसा पहली बार तो नहीं हो रहा होगा, बल कि कोई तबाही या हादसे या फिर किसी घटना पर क्रेडिट नहीं लेते हों। देश के फलक पर खूब देखा है लोगों ने अब करन माहरा कर रहे होंगे तो क्या गलत है और कुछ लोगों के मन में ये भी सवाल होगा कि ये धराली जा कर करेंगे क्या उनके लिए जवाब शायद ये है कि राजनीति। काम में कमियों को बताया जाएगा ये सरकार फेल रही कहा जाएंगा जैसा बीजेपी वाले 2013 की आपदा में कहते थे। खैर छोड़िये अब कांग्रेस का कोई ऐसा प्रदेश अध्यक्ष भी देखने को मिल रहा है जो इस ज्यादा फिट दिखाई दे रहा है।