भर्ती घोटाले में अगर विजिलेंस को मिली इजाज़त तो क्या जांच की आंच पहुंचेगी पूर्व सचिव संतोष बडोनी सहित इन कर्मचारियों पर

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UKSSSC Paper Leak Scam: तो क्या उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के भीतर से ही नकल माफिया के साथ मिलकर आपराधिक लापरवाही बरती गई? क्या आयोग के टॉप लेवल पर बैठे कुछ लोग भी स्नातक स्तरीय परीक्षा का पेपर लीक कराने वाले किरदारों में शुमार थे? यह ऐसे मुश्किल सवाल हैं जिनका जवाब शायद अब उत्तराखंड पुलिस खोजना चाह रही है! यूकेएसएसएससी स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में उत्तराखंड STF अब तक 35 आरोपियों को दबोच चुकी है सिकुड़ने अभी भी नकल माफिया की आयोग के भीतर तक गहन सेंधमारी की पड़ताल में कुछ ऐसे पेंच मिसिंग हैं जिनके बिना इस काले कारनामे का भांडाफोड़ संभव नहीं लगता है।

सूत्रों ने खुलासा किया है कि पुलिस मुख्यालय को भी लगता है कि जब तक इस परीक्षा के दौरान आयोग में मौजूद रहे सफ़ेदपोश चेहरों ये नक़ाब नहीं हटेगा जांच के ये मिसिंग डोट्स कनेक्ट नहीं हो सकेंगे। पुलिस जांच की सुई इसलिए भी उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में परीक्षा के वक्त कर्ताधर्ता बने बैठे चेहरों की तरफ घूम रही क्योंकि नकल माफिया खुला खेल खेलता रहा और किसी को कानों कान भनक तक नहीं लगी! आखिर यह आयोग में बैठे इन कर्ता धर्ताओं की घनघोर लापरवाही का नतीजा रहा या फिर यह सब नकल माफिया के साथ मिलकर एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा रहा है।

सवाल बार बार यही उठ रहे कि आखिर आयोग के ज़िम्मेदार लोग इस तरह के लापरवाह कैसे हो सकते हैं कि परीक्षा की सारी गोपनीय प्रक्रियाओं की वीडियोग्राफ़ी कराने का औचित्य क्या रहता था? आयोग किन वीडियोग्राफर के भरोसे बैठा रहा और तमाम परीक्षा केन्द्रों की वीडियोग्राफ़ी होती रही लेकिन ग़लती दर ग़लती होती रही और आयोग में किसी को भनक तक न लगी? यही वजह है कि अब जांच की सुई परीक्षा के दौरान आयोग के सचिव रहे और अब निलंबित संतोष बडोनी से लेकर UKSSSC के कई कार्मिकों और आउटसोर्स कंपनी की तरफ घूम रही है। लिहाजा शासन को सिफ़ारिश की गई है कि पेपर लीक कांड का भंडाफोड़ करने के लिए अब कुछ सफ़ेदपोश चेहरों की विजिलेंस जांच कराई जानी चाहिए।