विधानसभा बैकडोर भर्ती प्रकरण में अब सबकी नजरें प्रेम चंद अग्रवाल के भविष्य पर, कुर्सी पर गहराया संकट!

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देहरादून: विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण के तीसरी व चौथी विधानसभा के दौरान की गई 228 नियुक्तियों को रद करने के निर्णय के बाद अब सबकी नजरें सरकार पर टिक गई हैं। इस निर्णय का असर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष कांग्रेस दोनों पर पड़ा है। भाजपा हाईकमान जनता को संदेश देने के लिए बड़ा कदम भी उठा सकता है। विशेषज्ञ जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण के तीसरी व चौथी विधानसभा के दौरान की गई 228 नियुक्तियों को रद करने के निर्णय के बाद अब सबकी नजरें सरकार पर टिक गई हैं। खासकर इसलिए, क्योंकि चौथी विधानसभा में अध्यक्ष की भूमिका निभाने वाले प्रेम चंद अग्रवाल वर्तमान में पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट के सदस्य हैं।

अग्रवाल के कार्यकाल के समय की कुल 78, जबकि उनके पूर्ववर्ती गोविंद सिंह कुंजवाल के समय की 150 नियुक्तियों को रद किया गया है। विधानसभा अध्यक्ष के इस निर्णय का असर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष कांग्रेस, दोनों पर पड़ा है। तीसरी निर्वाचित विधानसभा का कार्यकाल वर्ष 2012 से 2017 तक रहा। उस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में थी। इसके बाद वर्ष 2017 से 2022 तक चौथी निर्वाचित विधानसभा में भाजपा के बहुमत के कारण उसकी सरकार रही।प्रकरण के राजनीतिक रंग लेने के बाद कुंजवाल और अग्रवाल, दोनों कठघरे में आ गए। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व तक भी बात पहुंची और अग्रवाल को हाईकमान के समक्ष अपना पक्ष रखने दिल्ली जाना पड़ा।

इनमें भाजपा नेताओं, संघ के पदाधिकारियों के साथ करीबियों को ये नौकरियां बांटने का आरोप है। राज्य में ही नहीं देश में भी इसकी गूंज सुनाई दी है। इस मामले में सबसे ज्यादा तूल तब पकड़ा, जब कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद का बयान सामने आया। वे बार-बार इन भर्तियों को नियम संगत, अपना विशेषाधिकार और पूर्व में हुई भर्तियों से जोड़कर तर्क देते नहीं थक रहे थे। इससे भाजपा संगठन भी असहज स्थिति में आ गया था। अब मौजूदा स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने एक सिरे से इन्हें और तत्कालीन स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल में हुई बैकडोर भर्तियों को रद कर दिया है। स्पीकर के इस फैसले से जहां भाजपा संगठन को जहां कुछ हद तक राहत मिली, वहीं कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।

सूत्रों के अनुसार पार्टी के वरिष्ठ नेता इन भर्तियों को लेकर खासे नाराज हैं और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही स्पीकर खंडूड़ी को भी अपने रुख से संकेत दे चुके थे। दरअसल, हाईकमान भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और परिवार वाद पर चोट कर रहा है। वहीं, भाजपा की सरकार के रहते विधानसभा में बैकडोर से चहेतों को भर्तियां बांट दी गईं। मुख्यमंत्री धामी और भाजपा संगठन को डैमेज कंट्रोल पर उतरना पड़ा। कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद इन दिनों जर्मनी के सरकारी टूर पर हैं। 25 सितंबर को उनकी वतन वापसी है। सूत्रों ने कहा कि पार्टी अगले कुछ दिनों के भीतर कोई बड़ा एक्शन भी ले सकती है।