हिम्मत हो… हौसला हो… जज्बा हो… तो बड़ी सी बड़ी दुश्वरियों के बीच जिंदगी शान के साथ आगे बढ़ती है
उत्तराखंड की बेटी ने कर दिखाया… कुमाऊं की ममता परिवार की ममता के लिए एक नई सफर पर निकल पड़ी
ममता ने उस प्रोफेशन को अपनाया जो मेट्रो शहरों के लिए आम बात है… लेकिन पहाड़ के लिए प्रेरणा देने वाली नई बात है
बागेश्वर के जैनकरास की ममता जोशी ये वो नाम है… जो अपने नए काम के लिए उत्तराखंड की जमीन पर सुर्खियां बंटोर रही है… वो देवभूमि की दूसरी महिला हैं… जिन्होंने पुरुषों के वर्चस्व वाले काम में दखल दी है…. ममता के हौसले को लोगों की खूब तारीफ मिल रही है….लोग कह रहे हैं… वाह ममता बहुत खूब… जज्बा हो तो आपके जैसा… हौसला कैसा होना चाहिए… इसे किसी को सीखना है… तो आपसे सीखना चाहिए… हिम्मत को ऊचाइयों के शिखर पर ले जाने की इच्छा शक्ति कैसी हो… उसे देखना हो… परखना हो… पड़ताल करनी है… अमल में लाना हो… तो आपके काम से प्रेरणा जरूर लेना चाहिए…. ममता उत्तराखंड की ऐसी दूसरी महिला होगी… जिन्होंने टैक्सी चलाने को करियर के रूप में चयन किया…कुछ महीने पहले रानीखेत की रेखा पांडे टैक्सी चलाने को लेकर चर्चा में आईं थीं… रेखा ने उत्तराखंड की पहली महिला टैक्सी चालक का खिताब अपने नाम किया…
अमूमन पहाड़ में महिला यात्री परिवहन के क्षेत्र में कदम नहीं रखती हैं… बागेश्वर तहसील के जैनकरास की रहने वाली ममता जोशी ने यात्री परिवहन के एरिया में कदम रखकर पहाड़ की बेरोजगार महिलाओं के लिए एक प्रेरणा पेश की है… ममता इसी माह की शुरूआत से टैक्सी चला रही हैं…महिला को टैक्सी चलाते हुए देखकर हर कोई चर्चा कर रहा है… ममता जैनकरास-बागेश्वर, बागेश्वर-काफलीगैर, बागेश्वर-अल्मोड़ा रूट पर टैक्सी चला रही हैं… सवारियां भी बेझिझक ममता की ड्राइविंग का लुत्फ उठा रहे हैं… ममता ओम शांति टूर एंड ट्रैवल्स नाम से टैक्सी का संचालन करती हैं…
29 साल की ममता हर रोज सुबह अपने गांव जैनकरास से बागेश्वर, बागेश्वर से काफलीगैर तक टैक्सी चलातीं हैं… वो एक दिन में जैनकरास से बागेश्वर तक के तीन फेरे लगा लेती है… वही बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए जिस दिन उनके वाहन का नंबर आ जाता है… वो उस दिन अल्मोड़ा तक सवारियां ले जाती हैं… बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए सुबह से दोपहर 12 बजे तक बागेश्वर की टैक्सियां सवारी ढोती हैं… दोपहर 12 बजे बाद अल्मोड़ा की टैक्सियां बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए सवारी ढोती हैं… वाहनों के हिसाब से अल्मोड़ा के लिए नंबर आता है… फिलहाल ममता किसी भी रूट में टैक्सी चलाने के लिए पूरी तरह से सक्षम है…
ममता जोशी को पति सुरेश चंद्र जोशी की बीमारी ने टैक्सी चालक बनने का हौसला दिया… ममता के पति सुरेश चंद्र जोशी कोविड लॉकडाउन से पहले अल्मोड़ा में एक मीडिया प्रतिष्ठान में काम करते थे… लॉकडाउन में उन्होंने नौकरी छोड़ दी… साल 2021 में बैंक से ऋण लेकर टैक्सी खरीदी… अचानक पति की तबीयत खराब हो गई…वो कई महीनों तक बीमार रहे… चार महीने टैक्सी खड़ी रही… बैंक की किश्त भी नहीं दे पाए… तमाम तरह की दिक्कते आने लगी… जिसके बाद ममता ने अपने पति से साल 2022 में टैक्सी चलाने की बात कही… पति से इजाजत… और मई 2022 में ही अपने पति से ही वाहन चलाने का प्रशिक्षण लेना शुरू किया… कुछ ही समय में वाहन चलाने लगीं, लेकिन लाईसेंस न बना होने के कारण टैक्सी नहीं चला पाईं…उन्होंने इस दौरान भी प्रशिक्षण लेना जारी रखा… कुछ दिनों बात उसका जब लाइसेंस बन गया… तब से वो नियमित रूप से टैक्सी चला रही हैं… शुरूआत में पति साथ आते थे… अब वो अकेले भी पूरी सिद्धत के साथ टैक्सी चला लेती हैं.. ममता इंटर तक पढ़ी हैं…
टैक्सी चालक ममता जोशी टैक्सी चलाने के साथ ही घर के कामों में भी बराबर भागीदारी निभाती हैं… उनकी तीन साल की बेटी हरिप्रिया है… बेटी हरिप्रिया के साथ ही सास-ससुर की देखभाल के लिए भी समय निकालती हैं… परिवार में पति-पत्नी के अलावा सास-ससुर और बेटी हैं… उनके ससुर गोविंद बल्लभ जोशी अल्मोड़ा मैग्नेसाइट फैक्ट्री में कार्यरत हैं..