Jasuli Datal : पहाड़ की जसुली जिसके पास था अकूत संपत्ति | Uttarakhand News

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पहाड़ की जसुली जिसके पास था अकूत संपत्ति
लेकिन फिर भी नदी में फेंकने लगी थी सारी दौलत

देवभूमि की जसुली सबसे अमिर थी..कुछ भी खरीद सकती थी
अचानक आया ऐसा मोड़…सारी दौलत से लिया मुंह मोड़
पैसों को नदी में बहाया…सोने के सिक्कों को डुबाया !

वीओ1- अचानक किसी के पास इतना पैसा कैसे हो सकता है..कि उसके घर में पैसे रखने के लिए जगह की कमी पड़ जाए…आज हम पहाड़ की उस दौलत की रानी के बारे में बताएंगें कि आपको यकीन नहीं होगा कि…इतनी दौलत किसी के पास होगी…आज के दौर में अमिर की लिस्ट में आने के लिए कितने लोग मेहनत करते हैं…लेकिन वो दौलत की रानी इतनी अमीर थी कि आज भी उसकी बनाई गई संपत्ति पर आम जन का अधिकार है…एक ऐसी महिला जिसने कभी पैसों की माया नहीं की..उसके पास इतना पैसा था कि..जिसे चाहती थी उसे जरुरत से ज्यादा दे देती थी…आम जन के लिए भी पैसों की खूब बरिश की…चाहें धर्मशालाओं का निर्माण हो या फिर कोई भी काम…दौलत की रानी कभी भी पीछे नहीं हटी थी..आज के दौर में पैसा ही सब कुछ है…हर कोई पैसे के पीछे भाग रहा है…जिसे देखों पैसों की लालसा है…पैसों के लिए अपने-अपने के नहीं तो पराए भी खूब पैसों के लिए अपराध की ओर रुख कर जाते हैं…लेकिन दौलत की देवी ने तो कभी पैसों का मोह किया ही नहीं…दौलत की रानी की इस खासियत के चलते ही उनकी खुद का मंदिर तक है…जिन्हें लोग पूजते हैं…

इतनी संपत्ति थी कि 7 जन्मों तक ऐश हो

वीओ2- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की दारमा घाटी के दांतु गांव में उत्तराखंड की महिला जसुली दताल की हम आपको कहानी बता रहे हैं…जसुली दताल के पास इतनी दौलत थी कि बिना मोह किए सारी की सारी दौलत को दान में दे दी…जसुली दताल की इसी कदम की वजह से लोग उनको पूजते हैं…क्योंकि जसुली दताल ने अपने लिए कुछ नहीं किया था..जो भी किया था लोगों के लिए किया था…न तो किसी की चाहत थी..और न ही किसी मोह माये का फेरा….बिना सोचे समझे अपनी सारी दौलत दान में दे दी थी…..इस वजह से उनको राज्‍य की महान दानवीर महिला कहा जाता है….

संपत्ति से जन के लिए करा दिया निर्माण

वीओ3- जसुली के बारे में बताया जाता है कि..बस भारत के लिए अपनी दौलत का इस्तेमाल नहीं किया…बल्कि नेपाल और तिब्बत को भी शामिल किया था..इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जसुली दताल के पास कितनी दौलत थी…जो तीन देशों को अपार दौलत दे दे…तो सोचिए कितनी दौलत होगी…जसुली ने नेपाल, भारत और तिब्बत में 500 से ज्यादा धर्मशालाओं का निर्माण कराया….जिसमें से 300 धर्मशाला भारत में कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते में बनाई गईं,…. जो आज भी देखी जा सकती हैं…..जसुली द्वारा बनाई धर्मशालाएं राहगीरों के रात बिताने के लिए काफी मददगार थी….यह धर्मशाला मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ी इलाकों तक बनवाई गई थीं. ….सड़क मार्ग बन जाने के बाद अब यह धर्मशालाएं खंडहर का रूप ले रही हैं….किसी को इस बात का फिक्र भी नहीं है….

जब नदी में बहाने लगी थी धन

दानवीर महिला के व्यापारी पति के पास अथाह धन था….ये दौलत महिला के पति ने बोरों में भरकर रखी थी…. पति और बेटे की असमय मौत के बाद जसुली देवी काफी हताश हो गयी और उन्होंने अपना सारा धन बहती नदी के जल में चढ़ाना शुरू कर दिया….उस वक्त कुमाऊं के कमिश्नर रैमजे का काफिला दारमा क्षेत्र में पहुंचा और उन्होंने देखा कि…. एक महिला सोने के सिक्कों को नदी में बहा रही है…. तब रैमजे तुरन्त जसुली देवी के पास पहुंचे और इस धन का इस्तेमाल पैदल मार्गों पर धर्मशालाएं बनवाकर जनसेवा में करने की सलाह दी….इसके बाद जसुली दताल ने अपने सारे धन से धर्मशालाओं का निर्माण करवाया. ये धर्मशालाएं उन मार्गों पर बनाई गईं…. जिनसे भोटिया व्यापारी आवागमन किया करते थे