अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहे जोशीमठ में कई खुशियां दफन होने जा रही हैं. कितने सपने टूटे हैं, कितने सपने अभी टूटेंगे…जोशीमठ की दरकती दीवारें हर दिन एक नई दुखभरी कहानी बुन रही हैं। इन्हीं में से एक कहानी ज्योति की भी है। मायके से ‘विदाई’ पाना हर लड़की का सपना होता है..लेकिन ज्योति शायद उन खुशनसीब बेटियों में नहीं, जिसकी विदाई उसके पुरखों के बनाए घर से होगी। ज्योति उसी जोशीमठ क्षेत्र में रहती है, जो लगातार धीमी मौत मर रहा है। इसी के साथ यहां रहने वालों के सपने और आशाएं भी दम तोड़ने लगी हैं। ज्योति का परिवार भी प्रभावितों में से एक है। मार्च में ज्योति की शादी होनी है। शादी का सारा सामान खरीद कर घर में रख दिया गया था, लेकिन अब प्रशासन ने उनके घर पर लाल निशान लगा दिया है। ज्योति कह रही है
अपने पैतृक घर से विदाई, हर बेटी का सपना होता है, लेकिन वर्तमान में यहां जैसे हालात बने हुए हैं, मुझे नहीं लगता कि मेरी डोली मेरे घर से जाएगी…’
ये कहते हुए ज्योति की आंखें डबडबा गईं। उनसे घर खाली करने को कहा जा रहा है। ज्योति का विवाह जोशीमठ में होना था, लेकिन लगता नहीं कि अब ऐसा कभी हो पाएगा। ज्योति की मां भी दुखी हैं। मां कहती हैं कि
हमने शादी का सारा सामान खरीद लिया था, जिसे घर में रखा गया है। अब प्रशासन ने हमारे घर की दीवारों पर क्रॉस का निशान लगा दिया है। हमें नहीं पता कि अब क्या करें और कहां जाएं। हम शादी के लिए खरीदा हुआ सामान कहां लेकर जाएंगे। मैं चाहती थी कि बेटी की विदाई हमारे घर से हो, लेकिन पता नहीं भगवान की मर्जी क्या है।
ज्योति जैसी ही कई बेटियां हैं, जिन्होंने ने भी अपने घरों को लेकर कई सपने बुने होंगे लेकिन घर आगे लगे लाल निशानों ने सारे सपनों को नेस्तनाबूत कर दिया। लोग हैरान हैं, अवाक हैं…बस एकटक अपने घरों को निहार रहे हैं…एक दूसरे से गले मिलकर यू अलविदा हो रहे हैं, कि न जाने अब कहां किस मोड़ पर मुलाकात होगी। घोर निराशा का दौर है…ये दौर कैसे बीतेगा? आगे क्या होगा? भविष्य के गर्त में कौन सी तबाही छुपी है…कोई नहीं जानता