पांच साल के लम्बे अंतराल के बाद 05 जुलाई से पिथौरागढ़ जिले में लिपुलेख दर्रे के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू हो रही है। Kailash Mansarovar Yatra 50 यात्रियों का पहला दल 5 जुलाई को चम्पावत के रास्ते धारचूला स्थित आधार शिविर पहुंचेगा। इस बार यह यात्रा टनकपुर से शुरू होकर चम्पावत, पिथौरागढ़, धारचूला से गूंजी होते हुए मानसरोवर तक का सफर तय करेंगी।इस यात्रा में देश भर के विभिन्न राज्यों से 45 यात्री जिनमे 32 पुरुष व 13 महिलाएं शामिल है शुक्रवार की शाम को टनकपुर पहुंचेंगे। जिनका टीआरसी टनकपुर केएमवीएम प्रबंधन द्वारा स्वागत किया जायेगा। टनकपुर से लेकर लिपुलेख तक यात्रा भारत तिब्बत सीमा पुलिस की निगरानी में होगी।
कैलाश मानसरोवर यात्रा
- 5 जुलाई को आधार शिविर धारचूला में यात्री विश्राम
- 6 जुलाई को गुंजी पहुंचेगा यात्रियों का दल
- यात्रियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए दो दिन का विश्राम। इस दौरान यात्री आदि कैलाश के करेंगे दर्शन
- 8 जुलाई को अंतिम भारतीय पड़ाव नावीढांग में विश्राम
- 9 जुलाई की सुबह लिपूलेख दर्रा पार कर तिब्बत में प्रवेश
- 8 दिनों तक तिब्बत में कैलाश पर्वत, मानसरोवर की परिक्रमा पूरी कर 18 जुलाई को लिपू दर्रा पार कर बूंदी पड़ाव पर वापसी
- 19 जुलाई को बूंदी से डीडीहाट होते हुए चौकोड़ी में रात्रि विश्राम
पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी ने बताया कि धारचूला पहुंचने के बाद यात्रियों को उच्च हिमालयी क्षेत्र में मौसम के अनुकूल ढलने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। जिसके लिए तैयारी पूरी की गई है। इन दिनों भारी बारिश से पर्वतीय मार्ग बाधित भी हो रहे हैं। जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी का कहना है कि बारिश को देखते हुए संवेदनशील मार्गों पर मलबा हटाने के लिए अतिरिक्त मशीनें लगाई गई हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल यात्रा के लिहाज से मार्गों की स्थिति सही है। उत्तराखंड प्रदेश में चारधाम यात्रा के बाद अब कांवड़ और कैलाश मानसरोवर यात्रा भी शुरू हो रही है। ऐसे में सरकार से लेकर अधिकारी तक सब पूरी मुस्तेदी के साथ तैयारी में जुटे हुए है। खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी शिवभक्तो का उत्तराखंड में स्वागत किया है और कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए शुभकामनायें दी है।