देहरादून: पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने आखिरकार 22 दिन बाद नकल का गढ़ माने जा रहे मोरी के दुर्ग की दीवार तोड़ दी। विदेश में शरण लेने गया जिला पंचायत सदस्य भी पकड़ में आ गया और एक शिक्षक को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा अभी कई और ऐसे हाथ हैं, जिन पर हथकड़ियां कसने वाली हैं। शाम को कोर्ट में पेश किया जाएगा। एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने दी जानकारी। एसटीएफ की अभी तक यह 18वीं गिरफ्तारी है। पेपर लीक मामले में पंचायत सदस्य हाकम सिंह मास्टर माइंड रहा है।
उत्तरकाशी जिले के मोरी में जब जांच हुई तो पता चला कि हर गली-मोहल्ले का युवा मेरिट में नाम दर्ज कराए बैठा है। एसटीएफ को शक हुआ तो गिरफ्तार हुए आरोपियों ने मोरी के कई नकल माफिया के नाम गिना दिए। पता चला कि यहां 80 से ज्यादा अभ्यर्थी पास हुए हैं। इनमें से ज्यादातर ने नकल की है और नकल कराने वालों में एक जनप्रतिनिधि भी शामिल है। यह नाम था हाकम सिंह रावत का। पता चला कि वह विदेश भाग गया है। एसटीएफ उसका इंतजार कर रही थी।
विवेचना के दौरान हाकम सिंह रावत की तलाश में एसटीएफ टीम रवाना हुई थी। इसी दौरान सूचना प्राप्त हुई थी कि हाकम सिंह रावत अपनी एक इनोवा से त्यूणी के रास्ते हिमाचल फरार हो रहा है। इसकी सूचना तुरंत बॉर्डर पर नाकेबंदी करवाई गई एवं स्थानीय पुलिस के माध्यम से त्यूणी आराकोट मार्ग पर रुकवा दिया गया। गहन पूछताछ करने के बाद साक्ष्यों के आधार पर आज गिरफ्तार किया गया है। हाकम सिंह जिला पंचायत सदस्य द्वारा अपनी पूछताछ में बताया गया कि वह वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य जखोल एवं इससे पूर्व वर्ष 2008 से वर्ष 2013 तक ग्राम प्रधान लीवाड़ी रहा है।
पेपर लीक मामले में हिरासत में लिए गए जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह के खिलाफ पहले भी मंगलौर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। यह मुकदमा भी आयोग की ही एक परीक्षा में नकल से संबंधित था। यह परीक्षा कनिष्ठ सहायक की थी। आरोप था कि उसने कई परीक्षार्थियों को नकल कराई है, लेकिन वह बेहद चालाकी से इस मामले में बच निकला। पुलिस को सबूत मिले नहीं या लिए नहीं, यह तो पता नहीं, लेकिन अंतिम रिपोर्ट लगाकर मामला बंद कर दिया गया।