विदेश यात्रा से वापस लौटे मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, बना इस्तीफे का दबाव, क्या हो गया है नियुक्तियों का चैप्टर क्लोज?

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देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में भले ही नियुक्तियों की गड़बड़ी पर बड़ा फैसला ले लिया गया हो लेकिन राज्य में ऐसी कई भर्तियां हैं जिन पर सवाल खड़े भी हुए हैं और अब तक कोई फैसला भी नहीं हो पाया। उत्तराखंड विधानसभा में 228 भर्तियों को निरस्त करने का फैसला ले लिया गया है और इसके पीछे विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी की अहम भूमिका मानी जा रही है। भले ही स्पीकर ऋतु खंडूड़ी और सरकार ने निरस्त कर दिया है, लेकिन विपक्ष ने सरकार को घेरने का काम बंद नहीं किया है।

विपक्ष की मांग है कि सरकार कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सरकार के बाहर का रास्त दिखाए। सोशल मीडिया पर भी उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने को लेकर पोस्ट वायरल हो रही है। बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर करीब 70 से ज्यादा भर्तियां कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने ही स्पीकर रहते हुए की थी। कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल विदेश दौरे से वापस लौटे चुके हैं। ऐसे में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष और मौजूदा कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर मंत्री पद से इस्तीफे का नैतिक दबाव बढ़ रहा है। जांच रिपोर्ट ने तो मंत्री प्रेमचंद के इस्तीफे की मांग को बढ़ा दिया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी तत्कालीन स्पीकर व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की भूमिका से जुड़ा प्रश्न पूछा गया। सीएम ने कहा कि जांच समिति की सिफारिश पर नियुक्तियां रद्द कर दी गई हैं और अब चैप्टर क्लोज हो गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि चैप्टर कैसे क्लोज हो सकता है। इस पूरे प्रकरण में अभी कई सवाल हैं। समिति की वैधता से लेकर पिछले सभी कार्यकालों की जांच छोड़ देने को लेकर भी सवाल हैं। सबसे बड़ा प्रश्न उन नेताओं की भूमिका पर है, जिन्होंने जनता के साथ छल किया। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष जो अब धामी सरकार में मंत्री हैं, उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा क्यों नहीं देना चाहिए?