उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्तियों के नाम पर चलते आए भ्रष्टाचार पर स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने जो एक्शन लिया है, अब उसके अगले पड़ाव में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के स्पीकर रहते बार बार विशेषाधिकार के दुरुपयोग से एक के बाद प्रमोशन पाकर विधानसभा सचिव बन बैठे मुकेश सिंघल की बारी है। हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट प्रेमचंद को इस्तीफा देने से बचा रहे हैं या फिर दिल्ली दरबार में अग्रवाल का रसूख इतना है कि भले स्पीकर रहते बैकडोर भर्ती भ्रष्टाचार की कालिख अपनी सियासी कमीज पर पुतवाने के बावजूद वे मंत्री पद बचाने में सफल रहे हैं।
विधानसभा में बैक डोर भर्ती मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत की तरफ से लगाए जा रहे गंभीर आरोपों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गई है। जहां पूर्व रावत ने कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल को हटाने की मांग की है। जबकि कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की बहू ने भी प्रेमचंद्र अग्रवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस नेत्री अनुकृति गुसाईं का कहना है कि जब विधानसभा में लगे अधिकारियों की छुट्टी कर दी गई है तो ऐसे में उनको तैनाती देने वाले भी बड़े गुनहगार हैं। आखिरकार सरकार से लेकर संगठन तक ने इस पूरे मामले में चुप्पी क्यों साध रखी है।
हालांकि इस पूरे मामले में सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा है कि शुरुआती दौर से बात करें तो कांग्रेस के कई ऐसे विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं उनके कामों की जांच क्यों नहीं हुई है। इस पूरे मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट अपनी सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का बचाव करते नजर आए। इस पूरे मामले में फिलहाल क्या निर्णय होगा उसका इंतजार करना होगा लेकिन एक तरफ जहां हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने भी यथावत रखा है उसके बाद में यह मुद्दा गरमाने लगा है कि जब विधानसभा में गलत तरीके से लगे कर्मचारियों की छुट्टी तो कर दी गई है लेकिन नौकरी दिलाने वाले अभी भी कुर्सी पर काबिज हैं।