Maa Dhari Devi Murti: उत्तराखंड में मां धारी देवी की मूल प्रतिमा को 9 साल बाद अपने मूल स्थान में विराजमान हो गई है। मंदिर ट्रस्ट के पुजारियों द्वारा सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर चर लग्न में मूर्ति को अस्थायी मंदिर से उठा कर 8 बजकर 10 मिनट पर स्त्री लग्न में नए मंदिर में स्थापित किया गया। वहीं मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 10 बजे बाद दर्शन के लिए खोले गए। इसके लिए 24 जनवरी से महानुष्ठान भी शुरू हो गया था, जो कि 28 जनवरी तक जारी रहा। महानुष्ठान के लिए 21 पंडितों को आमंत्रित किया गया। इस आनंददायक अवसर के लिए मंदिर के पुजारियों ने सीएम पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, सांस्कृतिक एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, विधायक विनोद कंडारी सहित जिले के डीएम सहित तमाम अधिकारियों, अन्य मंदिरों के पुजारी मौजूद रहें।
मां धारी देवी के नए मंदिर का निर्माण जीवीके कंपनी द्वारा अलकनंदा नदी पर बनाया गया है। यह सिद्धपीठ मां धारी देवी के पुराने मंदिर के ठीक ऊपर बनाया गया है। पुराना मंदिर जलमग्न होने के बाद प्रतिमाओं को अपलिफ्ट अस्थायी रूप स्थान दिया गया था, जिसके बाद कंपनी ने भव्य मंदिर का निर्माण किया, लेकिन विगत कई सालों से मंदिर न्यास के हैंडओवर नहीं हो पा रहा था। अब 9 साल बाद अपने मूल स्थान में विराजमान हो गई है। इस मंदिर में हर दिन एक चमत्कार होता है, जिसे देखकर लोग हैरान हो जाते हैं। कहते हैं मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। धारी देवी की मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखती है, फिर दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है। देवी काली को समर्पित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मौजूद मां धारी उत्तराखंड के चारधाम और यात्रियों की रक्षा करती हैं।