जोशीमठ में कोई ठोस कार्रवाई नहीं, नाखुश प्रभावितों ने शासनादेश की प्रतियां जलाई

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Joshimath Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन का धंसना जारी है। मिट्टी के कटाव का सबसे ज्यादा असर सिंहधार वार्ड पर पड़ा है। वहां आज भी मकान धंस रहे हैं। सिंहधार वार्ड की चार रिहायशी इमारतें डेंजर जोन में हैं। इन घरों की छतों में दरारें हैं और आंगन धंस गए हैं। असल में सीबीआरआइ रुड़की के विज्ञानियों की टीम के सर्वे के दौरान इन भवनों में बहुत कम दरारें थी, इसके चलते प्रशासन ने इनमें रहने वाले परिवारों को राहत शिविर में शिफ्ट नहीं किया। अब इन भवनों में भी दरारें चौड़ी हो रही हैं। भवनों के चारों ओर भूधंसाव होने से इनमें रह रहे परिवारों पर दोहरा खतरा मंडरा रहा है। लिहाजा, इन परिवारों ने प्रशासन से राहत शिविरों में शिफ्ट करने की गुहार लगाई है।

आपदा प्रभावितों ने सरकार की ओर से घोषित राहत पुनर्वास नीति को प्रभावितों के साथ मजाक बताया। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे आंदोलन में प्रभावितों ने सरकार की ओर से जारी शासनादेश की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा कि हमने पूरे जोशीमठ को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित करने की मांग की थी। साथ ही हमारी मांग के अनुसार मुआवजा काफी कम है। व्यावसायिक भवनों का तो बिलकुल कम मुआवजा है। प्रभावितों के भूमि के मुआवजे के लिए अभी तक सरकार की ओर से शासनादेश तक जारी नहीं किया गया है।