“यहां कोई भी पढ़ा लिखा नहीं है’| Uttarakhand News | UKSSSC Paper Leak | CM Dhami

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‘पेपर लीक’ आंदोलन पर BJP अध्यक्ष गजब ज्ञान सब को बता दिया ‘अनपढ़’ अब वीडियो हो रहा वायरल लोग पूछ रहे सवाल ये कैसे ज्ञान। जहाँ एक ओर उत्तराखंड के बेरोज़गार युवा अपना भविष्य दांव पर लगाकर सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं, वहीं प्रदेश की सत्ता के दो चेहरे दो अलग-अलग भाषाएं बोल रहे हैं। UKSSSC Paper Leak मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अब छात्रों के दबाव में सीबीआई जांच की बात करने लगे हैं — लेकिन दूसरी ओर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का बयान कुछ और ही कह रहा है। दोस्तो मै खबर और विशलेषण की तरफ जाउं उससे पहले आप बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट साहब का ये बयान सुनिए फिर आगे बात भी होगी और सवाल भी, तो दोस्तो क्या ये है उत्तराखंड के युवाओं के संघर्ष का जवाब?क्या यही है बीजेपी का बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार पर स्टैंड?या फिर सत्ता का अहंकार अब संवेदनशीलता को लील चुका है? आज मै बात करूंदा उस पीढ़ी की जो तपती धूप और बरसात में दिन में रात में भी सिस्टम के खिलाफ आवाज़ उठा रही है — और उस सिस्टम की, जो शायद अब भी ‘पेपर लीक’ को मामूली चूक मान रहा है। अगर ऐसा नहीं होता तो बीजेपी अध्यक्ष का ये अजीबो-रगरीब बयान नहीं आता। तो ऐसे बयान पर जब आप आंदोलन को अनपढ़ों का धरना प्रदर्शन बता रहे हैं। तो फिर क्यों सीबीआई और एसआईटी जांच ये सब क्यों, क्या इस तरह से प्रदेश के लाखो-लाख युवाओं को बीजेपी इंसाफ दे जाएगी या भी बीजेपी दोहरी चाल चल रही है। कहीं ये उसी के लिए आगामी चूनाव में संकट ना बन जाए। पूरी रिपोर्ट में मै इस मुद्दे की परत-दर-परत पड़ताल करूंगा, बने रहिए मेरे साथ! अंत तक थोड़ा आप भी देखें कि क्या सोचती है बीजेपी अपने प्रदेश के बारे में।

मै आगे बढू एक बार फिर से आपको वो बयान सुना रहा हूं जिसमें एक चैनल के साथ बात करते हुए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पेपर लीक पर धरना दे रहे लोगों को अनपढ कह रहे हैं। ये पढ़े-लिखे नहीं हैं, कल कहीं ये ना कहें दें कि ये उत्तराखड़ी भी नहीं है। क्यों ये सब हो सकता है। दोस्तो जहां इस पूरे मामले पर गंभीर होना चाहिए प्रदेश की सरकार के साथ ही सियासत को भी तब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का ये गजब ज्ञान। आगे मैं आपको बताने जा रहा हूं दोस्तो पेपर लीक का घाव और असमंजस में फंसी सत्ता। दोस्तो उत्तराखंड में यूकेएसएसएससी पेपर लीक ने न सिर्फ हजारों युवाओं का भरोसा तोड़ा है, बल्कि प्रदेश की राजनीति को भी हिला कर रख दिया है। एक तरफ छात्र सीबीआई जांच की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार और बीजेपी नेतृत्व के बयानों में जबरदस्त असमंजस और विरोधाभास दिखाई दे रहा है। बेरोज़गार युवाओं का संघर्ष — सिर्फ नौकरी के लिए नहीं, सिस्टम की सफाई के लिए भी है और सफाई ऐसी की क्या कहने देहरादून के परेड ग्राउंड से शुरू हुआ आंदोलन अब गांव-गांव, ब्लॉक-जनपद तक फैल चुका है। ये शायद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को नहीं दिखाई दे रहा है। युवाओं की मांग साफ है —निष्पक्ष सीबीआई जांच, दोषियों को कड़ी सजा भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता। दोस्तो ये कोई राजनैतिक आंदोलन नहीं, बल्कि एक भरोसे की लड़ाई लगता है। हर छात्र जो रात-दिन तैयारी करता है, वह सिर्फ एक पेपर लीक से नहीं हारता — वह सिस्टम से विश्वास खो बैठता है। सरकार की दो जुबानें — मुख्यमंत्री का ‘संतुलन’ बनाम प्रदेश अध्यक्ष का ‘घमंड’ आप इसको कह सकते हैं। क्योकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान कि हमें किसी भी जांच से परहेज नहीं, छात्र चाहेंगे तो सीबीआई जांच भी कराएंगे।

यह बयान छात्रों के दबाव और राजनीतिक तापमान को देखते हुए आया है। लेकिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने जो कहा, उसने आंदोलनकारी युवाओं को फिर भड़का दिया। कह दिया कि धरना स्थल पर जो लोग हैं, वो परीक्षार्थी हैं ही नहीं, क्या प्रदेश अध्यक्ष यह मानते हैं कि छात्र झूठ बोल रहे हैं?क्या उन्हें अपने ही प्रदेश के युवाओं पर विश्वास नहीं?ऐसे बयानों से सरकार की गंभीरता पर सवाल उठता है। दोस्तो अब यहां एक सवाल और आता है कि पेपर लीक” — भ्रष्टाचार की जड़ या चुनावी मुद्दा? पेपर लीक केवल एक घटना नहीं, यह उन गहरे भ्रष्टाचार की परतें खोलता है जो वर्षों से नौकरियों की बुनियाद में बैठा हुआ है। नकल माफिया, पेपर सप्लायर्स, अंदरूनी मिलीभगत, राजनीतिक संरक्षण? दोस्तो इस पूरे कॉकटेल ने युवाओं को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि शायद अब बदलाव की जरूरत सिर्फ सिस्टम में नहीं, सरकार में भी है। यहां इस आंदोलन से मुझे एक और स्थिति ऐसी भी दिखाई देती है। छात्र बनाम सत्ता — अब लड़ाई किस मोड़ पर है? आप कमेंट के जरिए बताइएगा। लेकिन मै ये कह सकता हूं कि आज उत्तराखंड में दो वर्ग आमने-सामने हैं —एक वो जो अपना सब कुछ झोंककर परीक्षा पास करने की उम्मीद में हैं और दूसरा वो जो सत्ता के सिंहासन पर बैठकर हकीकत से मुंह मोड़ रहा है।

दोस्तो मुख्यमंत्री कुछ कहते हैं, मंत्री कुछ और, और प्रदेश अध्यक्ष तो छात्रों को ही आंदोलन से बाहर बता देते हैं। इस असमंजस ने बीजेपी की छवि को ही सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। दोस्तो इससे पहले एक मामले का जिक्र करूं उससे पहले गजब तहर से वायर हो रहे बीजेपी अध्यक्ष के बयान को आप देख लिजिए। दोस्तो इससे पहले एक बयान मुख्यमंत्री धामी ने दिया था आपको याद होगा। जब सीएम खुद ‘नकल जिहाद’ जैसे शब्दों का प्रयोग कर चुके हों, तो मुद्दा सिर्फ परीक्षा या जांच नहीं रहता — यह सांस्कृतिक और राजनैतिक दिशा तय करने का औजार बन जाता है। दोस्तो पेपर लीक एक परीक्षा थी — सिस्टम की, सरकार की, और संवेदनशीलता की। अब तक जो नतीजा आया है, वह युवाओं को संतुष्ट नहीं कर पाया है। अब देखना यह है कि क्या सत्ता सिर्फ बयान देती है या कार्रवाई भी करती है।