उत्तराखंड: अब सभी पर्वतीय शहरों का होगा सर्वे, जोशीमठ आपदा से सबक लेते हुए लिया गया फैसला

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जोशीमठ भू-धंसाव से सबक लेते हुए उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के सभी पर्वतीय शहरों का वैज्ञानिक एवं तकनीकी सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुताबिक, जिन शहरों की भार वहन क्षमता अधिक पाई जाएगी, उनमें निर्माण पर रोक लगाई जाएगी। पहले चरण में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत क्षेत्रों में सर्वे कराने की मंजूरी दे दी है। आबादी और बेतरतीब ढंग से हो रहे निर्माण कार्यों से पर्वतीय शहरों में धारण क्षमता से अधिक दबाव बढ़ रहा है।

दरअसल, जोशीमठ भू-धंसाव का कारण शहर की भार वहन क्षमता से अधिक निर्माण भी माना जा रहा है। खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस बात से इत्तेफाक रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि जोशीमठ की जो घटना हमारे सामने आई है, वह निश्चित तौर पर हमें भविष्य के लिए सचेत कर रही है। हमारे जितने भी पर्वतीय क्षेत्रों के शहर हैं, उनकी धारण क्षमता यानी भार वहन क्षमता देखने की जरूरत है। कहीं ऐसा तो नहीं कि वहां भी निर्माण कार्यों का भार ज्यादा हो गया हो। सीएम ने कहा कि सभी शहरों का वैज्ञानिक एवं तकनीकी सर्वे कराया जाएगा। जिस शहर की भी भार वहन क्षमता अधिक आएगी, उसमें निर्माण पर सख्त रोक लगाई जाएगी।

आपदा प्रबंधन विभाग को सर्वे कराने का दायित्व सौंपा गया है। इसके लिए शहरी विकास, पंचायती राज समेत अन्य विभाग का सहयोग लिया जाएगा। सर्वे के लिए तकनीकी एजेंसियों का चयन किया जाएगा। राज्य के प्रमुख पर्वतीय शहरों में मसूरी, नैनीताल, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, उत्तरकाशी, ऊखीमठ, नई टिहरी, गुप्तकाशी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, रानीखेत पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। पहले चरण में सरकार इन पर्वतीय शहरों का सर्वे करा सकती है।