देहरादून: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण महरा के नेतृत्व में वरिष्ठ कांग्रेसजनों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें जनपद चमोली के जोशीमठ भूधंसाव, आपदाग्रस्त क्षेत्रों में आ रही समस्याओं के संबंध में ज्ञापन प्रेषित किया। जोशीमठ को लेकर कांग्रेस ने कुछ मांगें भी की जिसमें उन्होंने कहा कि जोशीमठ मामले को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए। पांच हजार रुपये का मुआवजा क्रूर मजाक है। यह मानव निर्मित आपदा है। इस अवसर पर पूर्व सीएम हरीश रावत औरपूर्व कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी मौजूद रहें।
माहरा ने कहा जोशीमठ क्षेत्र मे लगातार घट रही भू-स्खलन की घटनाओं से सैकड़ों आवासीय मकानों एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं ऐसी स्थिति में भयावह त्रासदी से भारी जनहानि का सामना करना पड़ सकता है। भूगर्भ शास्त्रियों की पूर्व चेतावनी के बावजूद राज्य सरकार द्वारा दैवीय आपदा संभावित क्षेत्र में सुरक्षा के कोई प्रबन्ध नहीं किये जा रहे हैं जिससे जोशीमठ क्षेत्र के लोगों के मन में दहशत का माहौल व्याप्त है। स्थानीय लोगों की जानमाल की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु समय रहते समुचित कदम उठाने के साथ ही संवेदनशील क्षेत्र के लोगों के उचित विस्थापन की व्यवस्था की जानी चाहिए।
कांग्रेस पार्टी ने रखी ये मांगे
- जोशीमठ नगर को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम उठाये जाय तथा जोशीमठ त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।
- आपदा पीड़ित परिवारों को राज्य सरकार की ओर से दिये जाने वाले किराया मुआबजे को 5000 हजार रुपए से बढ़ाकर 15000 रूपये किया जाय।
- आपदा के चलते जिन लोगों के आवासीय मकान एवं व्यावसायिक भवनों को नुकसान हुआ है उन्हें श्रीबद्रीनाथ जी की तर्ज पर 76 लाख रूपये प्रति नाली की दर से मुआवजे का भुगतान किया जाय।
- आपदा से प्रभावित क्षेत्र के लोगों के विस्थापन के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की जाय तथा प्रभावित क्षेत्र के लोगों का टिहरी बांध विस्थापितों की भांति सुरक्षित स्थानों पर एकमुश्त विस्थापन किया जाय।
- जोशीमठ क्षेत्र में खोदी गई सुरंगों को तुरंत बंद किया जाए तथा लोहारीनाग पाला और पाला – मनेरी परियोजना की सुरंगों को भरने का काम तुरंत शुरू किया जाए।
- एन.टी.पी.सी. के साथ पूर्व में हुए समझौते के अनुपालन में जोशीमठ क्षेत्र के समस्त आवासीय मकानों एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का बीमा कराया जाय तथा इस मानव रचित आपदा के लिए एन.टी.पी.सी. की सुरंग को एक कारक के तौर पर जिम्मेदार मानते हुए लोगों को हुए नुकसान की भरपाई एन.टी.पी.सी. से कराई जाय
- रेलवे एवं अन्य परियोजनाओं को गहन वैज्ञानिक अध्ययन के उपरान्त ही चरणबद्ध तरीके से मंजूरी दी जाए तथा पर्वतीय क्षेत्र के दैवीय आपदा संभावित क्षेत्रों में अनियंत्रित विकास को रोका जाय।