कौन हैं उत्‍तराखंड की ये डॉक्‍टर बेटी? तुर्की तबाही के बीच बुजुर्ग महिला द्वारा गला लगाते हुए फोटो वायरल

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तुर्की में आए भयानक भूकंप से हजारों लोगों की जानें चली गईं। इस संकट के बीच भारत ने मदद का हाथ बढ़ाते हुए सेना और एनडीआरएफ की टीम को वहां भेजा है। इस अभियान को ‘ऑपरेशन दोस्‍त’ नाम दिया गया है। तुर्की में भारत की ओर से चलाए जा रहे बचाव और राहत कार्य के बीच एक महिला अधिकारी की तस्‍वीर खूब वायरल हो रही है। एक तुर्की महिला उनके गाल पर किस कर रही हैं। लोगों के बीच इस बात को लेकर कौतूहल है कि यह महिला अधिकारी आखिर हैं कौन? राहत और बचाव कार्य में जुटी भारतीय सेना की महिला अधिकारी का नाम बीना तिवारी हैं। जो देहरादून की रहने वाली है। वो अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो कि सेना में सेवा दे रही है।

दादा खिलानंद तिवारी कुमाऊं रेजिमेंट में सूबेदार और पिता सूबेदार मेजर मोहन चंद्र तिवारी 16 कुमाऊं रेजिमेंट का हिस्सा रह चुके हैं। तुर्की में विनाशकारी भूकंप के प्रभावितों की मदद के लिए भारत से भेजे गए दल में डॉ. बीना तिवारी भी शामिल हैं। 16 पैराफील्ड रेजिमेंट के हॉस्पिटल की मेजर डॉ. बीना तिवारी ने दिल्ली के आर्मी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस से एमबीबीएस किया है। उनके पिता मोहन चंद्र तिवारी ने बताया कि बिना ने दसवीं तक की पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल क्लेमेंटटाउन से की है। मोहन तिवारी मूल रूप से चंपावत लोहाघाट के सुई खेस कांडे गांव के निवासी हैं। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि बेटी बीना मानवता की सेवा कर रही हैं। हमें उन पर हमेशा गर्व रहेगा।

मेजर डॉ बीना तिवारी वर्तमान में कर्नल यदुवीर सिंह की कमांड में सेवा दे रही हैं और वह 60 पैरा फील्ड अस्पताल में एकमात्र महिला अधिकारी हैं। तुर्की जाने से पहले उनकी तैनाती असम में थी। उनके पति भी डॉक्‍टर हैं और वो मेडिकल ऑफिसर हैं। ADG PI के ट्विटर हैंडल से डॉ बीना की फोटो शेयर करते हुए कैप्‍शन में लिखा गया था- “हम परवाह करते हैं।” यह तस्‍वीर इंसानियत की मिसाल बन गई है। मेजर. डॉ. बीना तिवारी ने कहा कि भले ही उनकी भाषा अलग है, लेकिन उनकी पूरी टीम आपदा पीड़ितों हरसंभव मदद में जुटी है।