प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड का शीतकालीन प्रवास एक अभूतपूर्व घटना बन गया। मुखवा में माँ गंगा की आराधना से लेकर हर्षिल की नैसर्गिक छटा तक, उनके प्रत्येक शब्द और कर्म में गहरी संवेदना व राष्ट्रहित की भावना परिलक्षित हुई। PM Modi Uttarkkashi Harshil Visit मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आमंत्रण पर उत्तराखंड पहुँचे प्रधानमंत्री ने इस धरोहर को न केवल श्रद्धा के भाव से निहारा, बल्कि पर्यटन और आध्यात्मिक यात्रा को नए आयाम भी दिए। उनकी यात्रा ऐसे समय हुई जब शीतकालीन यात्रा अपने चरम पर है और चारधाम यात्रा का शुभारंभ समीप है। इस एक प्रवास से उत्तराखण्ड की धार्मिक और पर्यटन परंपरा को नवजीवन मिला है। ‘घाम तापो पर्यटन’ से लेकर योग शिविर, कॉरपोरेट सेमिनार, फिल्म शूटिंग और सोशल मीडिया प्रचार तक, प्रधानमंत्री ने उत्तराखण्ड के सौंदर्य और आध्यात्मिकता को वैश्विक पटल पर स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया।
केदारनाथ धाम की भांति, यह यात्रा भी ऐतिहासिक बन गई। मुखवा जैसे पावन स्थल पर स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने माँ गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पर पूजा-अर्चना की, जिससे समूचा क्षेत्र आह्लादित है। इस साल के बजट में 50 टूरिस्ट डेस्टिनेशनों को विकसित किए जाने का फैसला लिया गया है। इन रूटों पर होटलों को इंफ्राटेक्चर का दर्जा दिया जाएगा। इससे पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी. साथ ही स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। हमारा प्रयास है कि उत्तराखंड के बॉर्डर वाले इलाकों को भी पर्यटन का लाभ मिले। पहले उत्तराखंड के इन गांवों को आखिरी गांव कहा जाता है, लेकिन हमने ये सोच बदल दी। हमने कहा ये हमारे प्रथम गांव हैं. जिनके विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज योजनाएं चलाई गई है।
प्रधानमंत्री एक बार फिर उत्तराखंड केे लिए सबसे बडे़ ब्रांड एंबेसडर साबित हुए हैं। केदारनाथ धाम का उदाहरण सामने हैं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता से श्रद्धालुओं के पहुंचने के नए रिकार्ड बने हैं। शीतकालीन यात्रा का हिस्सा बनने की इच्छा प्रधानमंत्री ने 28 जनवरी को राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के मौके पर ही जाहिर कर दी थी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से भावनात्मक लगाव ही है, वह कार्यक्रम में बदलाव के बावजूद मुखवा-हर्षिल पहुंच गए। उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा के साथ प्रधानमंत्री के जुड़ाव के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जो प्रयास किए थे, उसका सार्थक परिणाम सामने आया है। बहुत कम समय में उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा और पर्यटन देश-दुनिया की नजरों में आ गए हैं।