उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव से प्रभावित लोगों का पुनर्वास राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। आपदा से प्रभावित लोग पुनर्वास और विस्थापन पर एकमत नहीं हैं। इनमें से कुछ लोग वन टाइम सेटलमेंट चाहते हैं। इनका कहना है कि सरकार मकान और खेत का आकलन कर बदरीनाथ की तर्ज पर मुआवजा दे। वहीं कई ऐसे हैं जो अपनी जड़ों को छोड़ना ही नहीं चाहते हैं। इनका कहना है कि हम आखिरी सांस तक जोशीमठ नहीं छोड़ेंगे। हम इस मिट्टी में जन्मे, पले-बढ़े हैं, ऐसे में कहीं और बसने का सवाल ही नहीं पैदा होता है। इनकी मांग है कि सरकार, जोशीमठ की समस्या का स्थायी निदान कर मास्टर प्लान के तहत प्रभावितों को आवास बनाकर दे। साथ में भू-धंसाव से हुए नुकसान का मुआवजा भी दे। पुनर्वास के लिए जिन जगहों का चुनाव किया जा रहा है, प्रभावित उस पर भी एकमत नहीं हैं। इनका कहना है कि हमारा वर्षों पुराना व्यवसाय, रोजगार कहीं और ले जाने से चौपट हो जाएगा।
धंसाव के बढ़ते प्रकोप से जोशीमठ के व्यापारी भी भयभीत हैं। करीब 750 कारोबारियों में से कई ऐसे हैं, जिनके घर और दुकान दोनों ही धंसाव की जद में हैं। भारी आर्थिक संकट से गुजर रहे इन व्यापारियों को घर चलाना मुश्किल पड़ रहा है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष नैन सिंह भंडारी कहते हैं कि जब शहर वासी ही नही रहेंगे तो व्यापारी कारोबार कहां करेंगे। उन्होंने जोशीमठ के व्यापारियों को आपदा प्रभावित माने जाने की मांग की है। चमोली जिला प्रशासन के मुताबिक यहां कुल 863 मकानों में दरारें आई थीं। इनमें से 181 मकानों को असुरक्षित घोषित किया जा चुका है। वहीं इन घरों में रह रहे 275 परिवारों के 925 लोगों को यहां से निकालकर सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया गया है। अग्रिम राहत के तौर पर 3.45 करोड़ रूपये की धनराशि 261 प्रभावित परिवारों को वितरित की गई है। उद्यान विभाग, एचडीआरआई, जोशीमठ के पास स्थित भूमि पर केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रूड़की के सहयोग से वन बीएचके, टू बीएचके व थ्री बीएचके के मॉडल प्रोटोटाइप प्रीफ्रेब्रिकेटेड शेल्टर का निर्माण कार्य आरम्भ हो चुका है।