भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग की और मिली ऐसी सज़ा, कि आवाज़ को ही हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया। एक पत्रकार जो सिस्टम की बदहाली पर सवाल करता था, जो सिस्टम की दरारों को उजागर करता था, वो अचानक लापता हो जाता है और फिर कुछ दिनों बाद उसकी लाश एक नदी किनारे पाई जाती है। Rajiv Pratap Death Investigation दगड़ियो अपने उत्तराखंड में कई तरफ की चौनौतियां पहले से मौजूद हैं कुछ प्राकृतिक तौर पर कुछ हमारे सिस्टम की लापरवाही जनित परेशानियां और जब इन समस्याओं और परेशानियों पर कोई पत्रकार सवाल करें तो वो पहले गायब हो जाता है और फिर एक दिन उसकी लाश एक नदी में मिलती है गायब होने से पहले वो वो पत्रकार ने जिला अस्पताल उत्तरकाशी में एक बड़े भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग की। आगे दिखाउंगा उसकी रिपोर्टिंग और कैसे उसके उनसुलेगते सवालों को हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया। दोस्तो उसका नाम – राजीव प्रताप उम्र- 36 साल पढ़ाई – IIMC पेशा – पत्रकारिता पत्रकारिता का मतलब सवालों से होता है। भ्रष्टाचार पर सिस्टम से सवाल करना है। सरकार से सवाल कर जवाब मांगना है, कि ये सब क्यों हो रहा है और क्या कार्रवाई हो रही है। ये कुछ उन पत्रकारों को छोड़ कर जो सिस्टम और सत्ता की चापलूसी करते हैं।
दोस्तो ये राजीव की पत्नि ये गुहार तब लगा रही थी जब राजीव लापता था अब उत्तराखंड के पत्रकार राजीव प्रताप की लाश मिली है। यह वीडियो राजीव के गायब होने के बाद उनकी पत्नी का है। यह संदेहास्पद मसला दिख रहा है। राजीव की पत्नी बता रही हैं कि, वीडियो डिलीट करने के लिए धमकी भरे फोन भी आए थे। राजीव की जान लेने वालों पर कार्रवाई हो। राजीव के परिवार को न्याय मिले तो क्या दोस्तो जिससे सब हादसा मान रहे हैं वो एक साजिश के तहत राजीव की आवाज को हमेश-हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया। क्या ये महज़ एक हादसा है? या फिर एक सोची-समझी साज़िश? क्या सच लिखने और दिखाने की क़ीमत अब जान देकर चुकानी पड़ेगी? ये जो खबर है जिससे में बता रहा हूं वो सिर्फ एक पत्रकार की मौत नहीं,बल्कि लोकतंत्र की आत्मा पर चोट है, लेकिन सुना है कि पुलिस ने इस पूरे मामले को हादसा कहा है। आगे मै इस पूरी खबर सवाल करूं उससे पहले राजीव की पत्रकारिता और रिपोर्टिंग एक तस्वीर आपको दिखाना चाहता हूं, फिर बात करूगा राजीव प्रताप, जिनकी मौत पर उत्तराखंड में मचा बवाल? पत्नी ने हत्या का लगाया आरोप, पुलिस ने कहा- सड़क हादसे का हुए शिकार।
जी हां सरकारी अस्पताल की ऐसी हालत दिखाने वाले इस पत्रकार को अब मार दिया गया है। एक सवाल है, राजीव प्रताप कुछ दिनों से गायब थे और फिर उनकी लाश मिलती है और शुरूहोता सवालों का सिलसिला। दोस्तो अब तोड़ा गौर कीजिएगा, जोशियाड़ा बैराज से बरामद स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप के शव का केदार घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया है। राजीव प्रताव बीती 18 सितंबर से लापता चल रहे थे। जो गंगोरी-गरमपानी के बीच से अचानक लापता हो गए थे, उसकी कार स्यूणा के पास भागीरथी नदी में मिली थी। जबकि, उनका शव जोशियाड़ा बैराज से बरामद हुआ। दोस्तो 18 सितंबर की रात दोस्त की कार लेकर निकला था राजीव प्रताप, उत्तरकाशी पुलिस के मुताबिक, बीती 18 सितंबर की रात स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप अपने एक दोस्त सोबन सिंह की कार लेकर ज्ञानसू से गंगोरी के लिए रवाना हुए थे। अगले दिन सुबह तक जब राजीव नहीं लौटा तो उसके दोस्त ने इसकी जानकारी पुलिस को देकर उसकी खोजबीन शुरू की। खोजबीन के दौरान 19 सितंबर को स्यूणा गांव के पास सोबन सिंह की कार भागीरथी नदी के बीच में मिली, लेकिन उसमें राजीव प्रताप मौजूद नहीं था। इसके बाद परिजनों ने उसकी गुमशुदगी की तहरीर नगर कोतवाली में दर्ज करवाई। पुलिस समेत एसडीआरएफ ने भागीरथी नदी में खोजबीन की।
साथ ही सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले, लेकिन उसमें उसका कुछ पता नहीं लग पाया। वहीं, डीएम और एसपी के निर्देश पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और क्यूआरटी टीम ने गंगोरी से लेकर चिन्यालीसौड़ तक भागीरथी नदी में खोज अभियान शुरू किया गया। दोस्तो इस दौरान रविवार यानी 18 सितंबर की सुबह टीम को जोशियाड़ा बैराज में एक शव दिखाई दिया। टीम ने शव को झील से बाहर निकालकर पुलिस को सौंपा। उसके बाद पुलिस ने शव का पंचनामा भर शिनाख्त के लिए जिला अस्पताल उत्तरकाशी भेजा। जहां पर राजीव प्रताप के परिजनों ने उसकी शिनाख्त की। वहीं, सोमवार यानी 29 सितंबर को परिजनों ने राजीव का अंतिम संस्कार केदार घाट पर कर दिया। इधर पूरे मामले सवालों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी वरिष्ठ पत्रकार राजीव प्रताप के निधन पर शोक जता चुके हैं। साथ ही परिजनों के प्रति संवेदनाएं प्रकट करते हुए घटना की गहन एवं निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं। उधर, सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने भी राजीव प्रताप के निधन पर गहरा शोक व्यक्त कर अपनी संवेदनाएं प्रकट की है, लेकिन राजीव की मौत पर संस्पेस अभी भी बना हुआ है कियोंकि पुलिसिया शुरुआती थियोरी इसे हादसा मान रही है लेकिन परिवार इसे हत्या बता रहा है। लेकिन सवाल तो बतना ही कि क्या अब इस देश में भ्रष्टाचार पर सवाल उठाना गुनाह हो गया है?क्या जो सच दिखाएगा, उसकी आवाज़ हमेशा के लिए बंद कर दी जाएगी? अगर ये हत्या निकलती है तो फिर किस-किस को इसका जिम्मेदार कहूं। सवाल किस-किस सेकरूंगा समझ नहीं आ रहा है क्या राजीव प्रताप की मौत एक हादसा थी — या सोची-समझी साज़िश?कौन है इसका गुनहगार? और क्या उसे कभी सज़ा मिलेगी? कब तक पत्रकार मरते रहेंगे, और सिस्टम सिर्फ ‘जांच’ की बात करता रहेगा?और सबसे बड़ा सवाल — क्या मिलेगा इंसाफ?मै सवाल पूछना बंद नहीं करूंगा क्योंकि अगर सवाल मर गए, तो लोकतंत्र भी मर जाएगा।