धार्मिक परंपरा का बाबा केदार के दर पर उल्लघन हो गया, संतों ने क्यों बीकेटीसी के अध्यक्ष के खिलाफ झंडा बुलंद किया, तो क्या वाकई बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी पर लगे आरोपों में है कुछ सच्चाई? क्या आस्था के इस बड़े केंद्र में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा? और आखिर क्यों उठ रही है उन्हें हटाने की मांग? सब बताने के लिए आया हूं। Front against the president of BKTC दोस्तो शुक्रवार को केदारनाथ में मुकेश अंबानी के दौरे के दौरान बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष पर केदार सभा ने मंदिर की सदियों पुरानी परंपराओं के उल्लंघन का आरोप लगा दिया. अगले ही दिन उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने भी हेमंत द्विवेदी के खिलाफ झंडा बुलंद कर दिया। BKTC अध्यक्ष ने उन पर लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। एक एक कर आपको सब दिखाउंगा कि कौन क्या कह रह है इस मसले पर, बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी पर केदारनाथ की परंपराओं के उल्लंघन करने का संगीन आरोप लगाते हुए केदारसभा ने उनको हटाने की मांग उठाई है। केदारनाथ सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने कहा था कि बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष के रूप में जब से हेमंत द्विवेदी की नियुक्ति हुई है उनका व्यवहार ठीक नहीं है। उन्होंने कई विषयों पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर BKTC के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी को हटाने की मांग की थी।
इन आरोपों के बाद केदार सभा के वरिष्ठ सदस्य और उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने एक बार फिर बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी की कार्यशैली से नाराजगी जताई और सरकार से उन्हें पद से हटाने की मांग की है। उन्होंने ऐसा न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है, उन्होंने कहा कि बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष परंपराओं का उल्लंघन कर रहे हैं और मंदिर प्रबंधन पर उनका ध्यान नहीं है। दोस्तो बता दूं कि देश के उद्योगपति अंबानी के स्वागत में तीर्थ पुरोहितों और केदारनाथ के मुख्य पुजारी के सम्मान को ठेस पहुंचाई गई थी। उनके द्वारा कहा गया कि केदारनाथ में आए अंबानी परिवार हों या फिर कोई भी श्रद्धालु, आशीर्वाद देने और बाघंबर ओढ़ाने का अधिकार मंदिर के मुख्य पुजारी को है और पंडा पुरोहितों को है. लेकिन मंदिर समिति के अध्यक्ष द्वारा खुद ही अंबानी को आशीर्वाद देकर बाघंबर ओढ़ाया गया जो कि परंपराओं के विपरीत है। वहीं इसके अलावा वीआईपी दर्शन को लेकर भी सवाल खड़े हुए। वहीं केदार महासभा और चार धाम महा पंचायत के इन तमाम आरोपों का खंडन करते हुए बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने पूरे मामले पर कहा कि-मंदिर समिति और केदार सभा एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों ही उत्तराखंड के इन धामों में भक्त और भगवान के बीच में सेतु की जिम्मेदारी निभाते हैं। केदारनाथ में किसी भी तरह से पौराणिक धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन नहीं हुआ है। गर्भ गृह में पंडा पुरोहित और जो भी पौराणिक परंपराएं हैं,उन्हीं परंपराओं के तहत अंबानी परिवार को पूजा करवाई गई।
इस पूरी प्रक्रिया में मंदिर के गर्भ गृह में पुजारी पंडा पुरोहित लोग शामिल थे। हेमंत द्विवेदी ने कहा कि इसके अलावा इन धामों में जब भी कोई गणमान्य व्यक्ति आता है तो बदरी केदार मंदिर समिति की भी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह इन गणमान्य लोगों का स्वागत करें। इसी के तहत उनके द्वारा मंदिर प्रांगण में बतौर मंदिर समिति अध्यक्ष अंबानी परिवार का स्वागत सम्मान किया गया। यह किसी भी तरह से पौराणिक परंपराओं का उल्लंघन नहीं है। इसको लेकर हो रहे विवाद के बीच उन्होंने कहा कि VIP दर्शन को लेकर जिस तरह से सवाल खड़े किए जा रहे हैं तो निश्चित तौर से वह इस व्यवस्था के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि उन्हें जिम्मेदारी मिलने से पहले से जो व्यवस्था थी, वही अब भी चल रही हैं। उन्होंने इन व्यवस्थाओं को सही करने के लिए प्रण लिया था। हेमंत द्विवेदी ने कहा कि देश में मौजूद सभी सिद्ध मंदिरों में दर्शनों की SOP हैं और उसमें गणमान्य लोगों के दर्शन हों या फिर आम लोगों के,उसको लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश पहले से ही जारी होते हैं। उसी तरह से उत्तराखंड के बदरी केदार धाम में भी व्यवस्था के लिए उनके द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। जहां तक बात केदार सभा के आरोपों का है तो वह सब हमारे परिवार के लोग हैं और परिवार के लोगों में नाराजगी आम बात है।
उन्होंने कहा कि वह जल्दी सबसे मिल बैठकर उनकी जो भी शिकायतें हैं उन पर काम करेंगे। वहीं इसके अलावा बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी का कहना है कि धामी सरकार के दिशा निर्देश और बदरी केदार मंदिर समिति के प्रयास के साथ-साथ केदार सभा और चार धाम महा पंचायत के सहयोग से उत्तराखंड के इन चारों धामों में लगातार सनातन धर्म के आस्थावान लोगों की श्रद्धा बढ़ती जा रही है। इसका अंदाजा एक तरफ उत्तराखंड के इन चार धामों में बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या से लगाया जा सकता है, वहीं दूसरी तरफ अंबानी परिवार जो कि हर साल 5 करोड़ रुपए दान करता था, इस बार उनके द्वारा उत्तराखंड में आई आपदा और बदरी केदार मंदिर समिति के आग्रह पर 10 करोड़ की धनराशि दान की गई है। निश्चित तौर से इसे सनातन धर्मावलंबियों को और अधिक सुविधा मिलेगी। इससे केदारनाथ बदरीनाथ धाम में पंडा पुरोहितों के साथ-साथ आम लोगों को भी इसका लाभ होगा, लेकिन इन बसके बीच संत समाज की नराजगी अपनी जगह बनी हुई है, आगे क्या होता है इस मामले में देखना होगा।