चमोली: जोशीमठ की तलहटी में अलकनंदा के किनारे भू कटाव रोकने के लिए सुरक्षा दीवार की डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी अब टीएचडीसी को सौंपी गई है। उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने टीएचडीसी को इन्वेस्टिगेशन और डीपीआर तैयार करने के लिए कहा है। इससे पहले यह जिम्मेदारी सिंचाई विभाग के पास थी। लेकिन विभाग ने सिंचाई विभाग की डीपीआर को रिजेक्ट कर दिया है। हालांकि, सुरक्षा दीवार बनाने का काम सिंचाई विभाग ही करेगा। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने टीएचडीसी को डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी दिए जाने की पुष्टि की है।
जोशीमठ भू-धंसाव के लिए जिन कारणों को माना जा रहा है, उनमें एक कारण शहर की तलहटी में बह रही अलकनंदा और धौली गंगा नदियां से हो रहा कटाव भी है। इस समस्या का समाधान करने के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में कार्ययोजना तैयार करने के लिए सिंचाई विभाग को डीपीआर बनाने का जिम्मा सौंपने का निर्णय लिया था। विभाग ने डीपीआर तैयार कर दी थी। इसके तहत अलकनंदा नदी के किनारे 900 मीटर और धौलीगंगा नदी तट पर 300 मीटर लंबी और करीब आठ मीटर ऊंची कंक्रीट की दीवार बनाने की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बना दी गई। शासन स्तर पर इस डीपीआर का प्रस्तुतिकरण भी हुआ। लेकिन इसे तकनीकी और व्यावहारिक रूप से उतना प्रभावशाली नहीं माना गया।
रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि अब अलकनंदा के किनारे बनने वाली सुरक्षा दीवार को लेकर इन्वेस्टिगेशन और डीपीआर तैयार करने का काम टीएचडीसी करेगी। हालांकि, सुरक्षा दीवार बनाने के लिए कार्यदाई संस्था सिंचाई विभाग ही रहेगी। जोशीमठ नगर क्षेत्र में भू-धंसाव के कारण अभी तक 863 भवनों को चिन्हित किया गया है, जिनमें दरारें मिली हैं। इसमें से 181 भवन असुरक्षित जोन में हैं। आपदा प्रभावित 282 परिवारों के 947 सदस्यों को राहत शिविरों में रुकवाया गया है। राहत शिविरों में भोजन, पेयजल, चिकित्सा आदि की मूलभूत सुविधाएं प्रभावितों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। सार्वजनिक स्थानों, चौराहों और राहत शिविरों के आसपास 20 स्थानों पर नियमित रूप से अलाव की व्यवस्था की गई है।