Haridwar Panchayat Elections: पंचायत चुनाव के लिए जिला प्रशासन की ओर से आचार संहिता को लागू किए हुए एक सप्ताह से अधिक का समय गुजर चुुुका है लेकिन प्रशासन आदेश करने के बाद पालन करना भूल गया है। हालत यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगे चुनावी होर्डिंग्स पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के मुंह चिढ़ा रहे हैं। 31 अगस्त को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सरकार और एक सितंबर को चुनाव आयोग की ओर से चुनावी कार्यक्रम जारी कर तत्काल प्रभाव से आचार संहिता लागू कर दी गई थी।
चुनाव आयोग के बाद जिला प्रशासन ने भी उसी दिन आचार संहिता का सख्ती के साथ पालन कराने के लिए आदेश जारी कर दिए थे। आचार संहिता का पालन करवाने के लिए अधिकारियों की फौज भी लगाई गई है। किसी को जोनल तो किसी को सेक्टर मजिस्ट्रेट बनाया है, लेकिन नौ दिनों का समय बीत जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में बिना अनुमति के राजनीतिक पार्टियों और प्रत्याशियों की ओर से होर्डिंग्स और बैनर लगाए जा रहे हैं। जुलूस निकाले जा रहे हैं। बिना अनुमति की जनसभाएं हो रही हैं। इन्हें रोकने वाला कोई नहीं मिल रहा है।
कांग्रेस ने हरिद्वार पंचायत चुनाव के बावजूद धड़ल्ले से किए जा रहे तबादलों पर नाराजगी जताई है। कांग्रेस का कहना है कि हरिद्वार जिले में आचार संहिता लगने के बावजूद सरकार वहां पर तबादले करने में लगी हुई है। जो राज्य निर्वाचन आयोग को ठेंगा दिखाने जैसा है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यूपीसीएल ने बड़े पैमाने पर सीनियर इंजीनियरों के तबादले किए हैं। जिसमें हरिद्वार जिला भी शामिल है. कांग्रेस ने तबादलों पर सवाल उठाते हुए कहा कि हरिद्वार जिले में आचार संहिता लग चुकी है। ऐसे में तबादले चुनाव के बाद भी कराए जा सकते थे।
उत्तराखंड में जो सरकार सत्ता में है, उसे न तो लोकतंत्र में कोई विश्वास है और न ही उस सरकार की संविधान में आस्था है। उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि हरिद्वार में जल्द ही पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में नामांकन गतिमान है। इस वक्त पर यह तबादले राज्य निर्वाचन आयोग को ठेंगा दिखाने जैसा है। गरिमा दसौनी का ये भी कहना है कि यूपीसीएल सरकार का ही हिस्सा है। ऐसे में अपेक्षा की जाती है कि उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग की ओर इस प्रकरण को संज्ञान में लिया जाए।