ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) की भर्ती परीक्षा में धांधली का सूत्रधार उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का तत्कालीन अध्यक्ष डा. आरबीएस रावत ही था। उसने लखनऊ के प्रिंटिंग प्रेस आरएमएस टेक्नो साल्यूशन के सीईओ राजेश पाल के साथ मिलकर धांधली की योजना तैयार की थी। वीपीडीओ भर्ती में धांधली के लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने सचिव एमएस कन्याल की पत्नी का घर किराये पर लिया था। इसी घर में अध्यक्ष, सचिव, परीक्षा नियंत्रक और कंपनी के सीईओ की मौजूदगी में ओएमआर शीटों को स्कैन कर फाइनल रिजल्ट तैयार किया गया।
जिन अभ्यर्थियों से पैसे लिए गए थे, उनकी ओएमआर शीटों में खाली गोलों को काला किया गया था। कमरे में मौजूद सात लोगों में से पांच जेल जा चुके हैं जबकि दो को सरकारी गवाह बनाया जा चुका है। एसटीएफ की जांच में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। एसटीएफ के अनुसार, इस मामले में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. आरबीएस रावत मास्टरमाइंड बताए जा रहे हैं। रावत के कहने पर ही कन्याल ने आरएमएस कंपनी के सीईओ राजेश पाल से संपर्क किया था।
रावत के कहने पर आयोग के नाम से पित्थूवाला स्थित एमएस कन्याल की पत्नी के नाम का घर किराये पर लिया गया। यहां दो कमरों को ऑफिस बनाया गया। आरोपियों ने पहले से ही लगभग 50 अभ्यर्थियों के रोल नंबर लिए थे। इस ऑफिस में रिजल्ट तैयार करने का काम शुरू हुआ। इनसे पहले ही कह दिया गया था कि अपनी-अपनी ओएमआर शीटों में गोले खाली रखने हैं। ओएमआर शीटों की स्कैनिंग से पहले इस ऑफिस में गोले काले किए गए। इस दौरान वहां आरबीएस रावत, एमएस कन्याल, आरएमएस कंपनी का सीईओ राजेश पाल, कर्मचारी विपिन बिहारी, परीक्षा नियंत्रक राजेश पोखरिया मौजूद थे।
इस परीक्षा में एक अभ्यर्थी से सात से आठ लाख रुपये का सौदा हुआ था। नकल सिंडीकेट के कहने पर सभी कन्याल से मिले थे। इनमें से कई ने पैसे कन्याल को उनके घर पर दिए जबकि कुछ ने कार में दिए। ऊधमसिंह नगर इस परीक्षा में धांधली के गढ़ के रूप में सामने आया है। जिले के एक गांव के 20 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने इस सिंडीकेट को पैसे दिए थे। इन सबको पास कराया गया। इनमें से कई टॉपर भी बने। लेकिन, जब परिणाम रद्द कर परीक्षा दोबारा कराई गई तो इनकी पोल खुल गई।
वीपीडीओ परीक्षा में धांधली से अर्जित किए गए करोड़ों रुपये आरोपित डा. आरबीएस रावत, मनोहर सिंह कन्याल और राजेंद्र सिंह पोखरिया ने कहां खपाए, एसटीएफ अब इसका पता लगा रही है। अनुमान है कि इस धांधली से आरोपितों ने सात से आठ करोड़ रुपये अर्जित किए। बताया जा रहा है कि मनोहर सिंह कन्याल और राजेंद्र सिंह पोखरिया के पास काफी संपत्ति है। जिसकी जांच हो रही है।