Joshimath Sinking: लगातार बढ़ रही दरारग्रस्त भवनों की संख्या, ये तीन फैक्टर तय करेंगे जोशीमठ का भविष्य!

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जोशीमठ में आई आपदा के मद्देनजर राज्य सरकार प्राथमिकता के आधार पर प्रभावित परिवारों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचने का काम जोरों-शोरों से कर रही है। साथ ही यहां दरारों की चपेट में आ रहे मकानों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। अभी तक में 849 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं। जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव की असल वजह जानने को लेकर तमाम संस्थानों की टीमें यहां सर्वे का कार्य कर रही हैं। वैज्ञानिक इस बात को मान रहे हैं कि बारिश और भूकंप का आना जोशीमठ के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। यही वजह है कि राज्य और केंद्र सरकार इसके पीछे की असल वजह जानने को लेकर काम कर रही है। करीब 8 संस्थानों की टीमें जोशीमठ शहर के अलग-अलग इलाकों का साइंटिफिक अध्ययन कर रही हैं। जिसके बाद ही जोशीमठ शहर में हो रहे भू-धंसाव की असल स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

तीन स्टडी तय करेंगी जोशीमठ का भविष्य: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं ने बताया जोशीमठ शहर का भविष्य तीन फैक्टर से तय होगा। वाडिया की टीम जोशीमठ में अभी सर्वे के काम कर रही है। जिसके तहत सरफेस स्टडी, लैंडस्लाइड का मैप और क्लाइमेट चेंज होने की वजह से एक्सीसिव रेन और स्नो फॉल का होना है। लिहाजा जब तक विस्तृत स्टडी नहीं हो जाती, तब तक यह कहना बहुत मुश्किल है कि जोशीमठ का भविष्य, अगले दिन में कैसा होगा। ऐसे में सभी रिपोर्ट का अध्ययन के बाद जोशीमठ के भविष्य की स्तिथि स्पष्ट हो पाएगी।

पहली स्टडी: जोशीमठ शहर के सरफेस में किस तरह का हाल-चाल चल रहा है, इसकी जानकारी एकत्र की जा रही है। जिससे पता चलेगा कि इस क्षेत्र का जियोलॉजिकल साइकिल और जियोलॉजिकल चैनल की स्तिथि क्या है। साथ ही वाटर फ्लो किस तरह से हो रहा है।

दूसरी स्टडी: स्लोप स्पेरिटी, कार्ब्रेचर, रॉक स्ट्रीम और लैंड यूज को देखते हुए लैंडस्लाइड का मैप तैयार किया जाता है। जिससे ये पता चलता है कि यह क्षेत्र हाई वल्नेरेबिलिटी में है। जोशीमठ में भी इसका अध्यन किया जा रहा है।

तीसरी स्टडी: क्लाइमेट चेंज होने की वजह से एक्सीसिव रेन और स्नो फॉल हो रहा है। जिसके चलते जोशीमठ पर इसका असर भी पड़ रहा है। ऐसे में एक्सीसिव रेन और स्नो फॉल की वजह से इस क्षेत्र के और अधिक वल्नेरेबल होने की संभावना है।