देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे को उत्तराखंड सरकार के पर्यटन विभाग में विशेष कार्याधिकारी ओएसडी बनाया गया है। उन्हें प्रधानमंत्री के बदरीनाथ व केदारनाथ पुनर्निर्माण के ड्रीम प्रोजेक्टों की कमान सौंपी गई है। प्रधानमंत्री के सलाहकार रहते भास्कर खुल्बे केदारनाथ और बदरीनाथ पुनर्निर्माण कार्यों की निगरानी करते रहे हैं। वह केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों पर निगरानी रखने के साथ ही इन प्रोजेक्ट को लेकर राज्य व केंद्र सरकार के मध्य समन्वयक की भूमिका निभाएंगे। इस संबंध में शासन ने आदेश जारी कर दिए हैं। उनकी इस पद पर नियुक्ति 28 फरवरी 2023 तक के लिए की गई है। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने इसकी पुष्टि की।
वे कुछ दिनों से उत्तराखंड प्रवास पर थे। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु से शिष्टाचार भेंट की थी। दिन में ही यह चर्चा गर्म थी कि उन्हें उत्तराखंड में रहते हुए पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। देर शाम उन्हें पर्यटन विभाग में ओएसडी बनाए जाने के आदेश भी जारी हो गए। केदारपुरी का पुनर्निर्माण कार्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। यही कारण भी है कि केदारपुरी एकदम नए कलेवर में निखर रही है। वहां वर्तमान में द्वितीय चरण के पुनर्निर्माण कार्य चल रहे हैं। प्रधानमंत्री के निर्देश पर राज्य सरकार ने केदारनाथ की भांति बदरीनाथ धाम को भी विकसित करने की महायोजना तैयार की। माना जा रहा है कि दोनों धामों में पुनर्निर्माण कार्यों को गति देने के उद्देश्य से ही भाष्कर खुल्बे को सरकार ने ओएसडी के रूप में तैनाती दी है।
कौन हैं आईएएस भास्कर खुल्बे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सलाहकार बनाए गए भास्कर खुल्बे उत्तराखंड के नैनीताल में पले बढ़े हैं। उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर से 1979 में जूलॉजी से एमएससी की थी। वह अपने बैच के टॉपर रहे। भास्कर का चयन भारतीय सेना में अधिकारी के पद के लिए हो गया था। उन्होंने छह माह तक ट्रेनिंग भी की लेकिन मेडिकल कारण से उन्हें वापस आना पड़ा। भास्कर ने जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रो. जेएस बिष्ट के निर्देशन में पीएचडी शुरू कर दी थी। 1982 में उनका चयन इंडियन फॉरेस्ट सर्विसेज के लिए हो गया था और इसमें वे अखिल भारतीय स्तर पर तीसरे स्थान पर रहे थे। आईएफ एस की ट्रेनिंग के दौरान भी वे पढ़ाई में लगे रहे और अंतत: उनका चयन आईएएस में हो गया। उन्हें पश्चिम बंगाल कैडर मिला, जहां वे तमाम महत्वपूर्ण पदों पर रहे।