हिमाचल प्रदेश में भाजपा की हार और कांग्रेस की जीत से एक बार फिर कर्मचारियों को संजीवनी मिली है। कांग्रेस ने हिमाचल चुनाव में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा जोर शोर से उठाया था। अब जब हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। तो एक और राज्य में पुरानी पेंशन बहाली की मांग जल्द पूरी हो सकती है। ऐसे में पड़ोसी पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में कर्मचारियों को अपनी बात रखने का मौका मिलना तय है। जिससे राज्य सरकार पर दबाव पड़ना तय है। पुरानी पेंशन योजना की लड़ाई लड़ रहे कर्मचारियों को हिमाचल चुनाव से संजीवनी हाथ लग गई है। कर्मचारियों को लगता है कि देश भर में चलाए जा रहे आंदोलन का प्रभाव हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है।
हिमाचल इकाई के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर के नेतृत्व में तीन मार्च को शिमला में रैली निकली थी। आंदोलन से जुड़े नेताओं और कर्मचारियों ने सभी दलों से पुरानी पेंशन बहाली योजना शुरू करने की मांग उठाई थी। यह मुद्दा चुनाव में काफी प्रमुखता से उठाया गया। जनता ने कांग्रेस को सत्ता की चाबी सौंप दी। ऐसे में अब पुरानी पेंशन प्रकरण उत्तराखंड में जोर पकड़ सकता है। उत्तराखंड में पुरानी पेंशन की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। आने वाले समय में निकाय और लोकसभा का चुनाव है। जो कि चुनावों में कर्मचारियों के लिए एक बड़ा हथियार साबित होगा। जिसके लिए कर्मचारी अभी से आर पार की लड़ाई लड़ने की कोशिश में जुट गए हैं।
कांग्रेस शासित राज्यों में कर्मचारियों के हित में लिए जा रहे निर्णय को लेकर राज्य कर्मचारी एक बार फिर राज्य सरकार से आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बना चुके हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने फरवरी 2022 में अपने राज्य में एक जनवरी 2004 के बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा की थी। उत्तराखंड में भी एक अक्टूबर 2005 के बाद से नई पेंशन स्कीम योजना लागू है। यहां कर्मचारी संगठन लगातार पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे हैं। उत्तराखंड में 80 हजार कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल होने का इंतजार है।