हरिद्वार: मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष से हटाए जाने के बाद सिसायी गलियारों में ये चर्चा जोर से उठ रही है कि आखिरकार ऐसी कौन सी वजह थी जिस वजह से मदन कौशिक को तत्काल प्रभाव से हटाया गया है। क्या मदन कौशिक के धुर विरोधी जिस घेराबंदी में बीते कई महीनों से लगे हुए थे, वह अपने प्रयासों में कामयाब रहे या फिर चुनावों में जिस तरह से उनके ऊपर आरोप-प्रत्यारोप की बौछार हुई उसका वह शिकार हुए है।
इस घटनाक्रम के बाद से मदन कौशिक के धुर विरोधी रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के आवास वेद निकेतन पर उनके समर्थकों का जुटना शुरू हो गया। हालांकि इस मौके पर स्वामी यतीश्वरानंद कुछ भी कहने से बचते रहे। लेकिन उनके आवास पर जुट रही समर्थकों की भीड़ और उनकी पूर्व बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक से रही राजनीतिक प्रतिद्वंदिता कुछ और ही कहानी बयां कर रही थी। पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव का निर्णय भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का है। लेकिन चुनाव में पार्टी के प्रत्याशियों को हराने का काम करने वाले नेताओं की शिकायत उनके व अन्य नेताओं द्वारा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को दी गई थी। हालांकि मदन कौशिक को क्यों हटाया गया इसका जवाब पार्टी नेतृत्व ही दे पाएगा।
वैसे देखा जाए तो उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के बाद से ही कौशिक के खिलाफ माहौल बनाना शुरू हो गया था। संगठन और सरकार में दूरियां साफ नजर आ रही थीं। बार-बार देखने में आ रहा था कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हरिद्वार जाते हैं, लेकिन मदन कौशिक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यक्रमों में शामिल ही नहीं हो रहे थे। कई बार इस तरह के चर्चाओं ने भी जोर पकड़ा है कि सरकार और संगठन का सही से तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। राज्य के कुछ बड़े नेता लगातार इस प्रयास में थे कि किसी तरह से मदन कौशिक की घेराबंदी की जाए।
मदन कौशिक के धुर विरोधियों को एक मौका तब मिल गया, जब हरिद्वार से ही विधानसभा चुनाव के परिणाम बीजेपी की संभावनाओं के विपरीत आए। हरिद्वार जिले की ग्रामीण, ज्वालापुर और लक्सर विधानसभा सीट समेत कुमाऊं की जिन सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी हारे, वहां से मदन कौशिक के खिलाफ आवाज उठने लगी। लक्सर सीट से बीजेपी प्रत्याशी संजय गुप्ता ने तो सीधे-सीधे अपनी हार के लिए मदन कौशिक को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद कई और प्रत्याशियों ने भी मदन कौशिक के खिलाफ बयानबाजी की थी। इसके बाद से ही मदन कौशिक के खिलाफ माहौल बनता चला गया। संगठन ने इस पूरे मामले को लेकर जांच भी बैठाई थी।