Tiger terror in Uttarakhand : उत्तराखंड में बाघों को लेकर डरावनी रिपोर्ट | Uttarakhand News

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बाघों को लेकर डराने वाली रिपोर्ट…लगातार बाघों की मौतों ने बढ़ाई परेशानी !
उत्तराखंड में बाघों की जिंदगी पर संकट…आंकड़े ऐसे हैं कि हैरान कर देंगे
पिछले 5 महीने रहे बाघों के लिए भारी…उत्तराखंड में आखिर ये क्या हो रहा ?

देश भर के जंगलों में अपनी दहाड़ से जाना जाने वाला बाघों को लेकर एक डराने वाली रिपोर्ट सामने आई है…जहां कुछ विलुप्त जानवरों को फिर से भारत में लाकर उनकी प्रजाति बढ़ाई जा रही है…वहीं अब बाघों को लेकर सबसे बड़ा खतरा मंडराने लगा है…अगर जल्द से जल्द इस खतरे का इलाज नहीं किया गया तो आने वाले वक्त में देश बाघों को भी खो देगा…जैसे चिते को बिलुप्त कर चुका है…जंगल में बढ़ती इंसानों की आबादी अब सबसे बड़ा संकट खड़ा करने वाली है….क्योंकि पहाड़ पर कुछ ऐसा होने वाला है…जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी…एक आंकड़े के मुताबिक पिछले पांच महीने उत्तराखंड में बाघों के लिए काफी खतरे से भरा रहा है…जिसके बाद अब ये रिपोर्ट आई तो उम्मीद जताई जा रही है..जल्द से जल्द समाधान भी निकाल लिया जाएगा…..रिपोर्ट के जो आंकड़े आएं हैं उसमे साफ साफ बाघ-बाघिनों को लेकर हैरान कर देने वाले आंकड़े हैं…रिपोर्ट बताती है कि…पिछले 5 महीने में सिर्फ उत्तराखंड ने 12 बाघ-बाघिनों को खोया है…इसका मतलब 12 बाघ-बाघिनों की मौत पिछले 5 महीने में हो गई….जैसे ही ये रिपोर्ट सामने आई…वन विभाग में हड़कंप मच गया है…

अभी तो आपने सिर्फ उत्तराखंड का ही आंकड़ा जाना है…अब हम आपको आगे की रिपोर्ट में पूरे देश के आंकड़े भी बताएंगे…लेकिन उससे पहले आपको .ये बता दें कि…उत्तराखंड में जिन 12 बाघ-बाघिनों की मौत हुई है…उस लिस्ट में सबसे ज्यादा मौतें कुमाऊं के सेंट्रल तराई क्षेत्र की हैं…जैसे ही ये आंकड़े आए तो वन विभाग भी अलर्ट हुआ…मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा ने मुख्य वन संरक्षण कुमाऊं से जांच रिपोर्ट मांग ली…उत्तराखंड में इस साल बाघ की पहली मौत का मामला जनवरी में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में सामने आया था…. उसके बाद फरवरी मेें तीन बाघ नैनीताल और रामनगर में मरे पाए गए…. फिर मार्च में दो बाघ चकराता रेंज हल्द्वानी और रामनगर डिविजन में मारे गए….अप्रैल में कॉर्बेट की ढेला रेंज में एक बाघ मृत पाया गया….मई में दो बाघ कालागढ़ डिविजन और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मारे गए…जबकि तीन बाघों की मौत का आंकड़ा अभी तक वेबसाइट पर अपडेट नहीं किया गया है…बाघों की मौत के कारण अलग-अलग हैं….साल 2022 में 12 महीने में 9 बाघों की मौत दर्ज की गई थी….

वहीं अगर बाघ-बाघिनों की मौैत के आंकड़े देश भर के देखेंगे तो ये लिस्ट और लंबी हो जाएगी…और अगर लिस्ट में पहले पायदान के राज्य पर नजर डालेंगे तो सबसे पहले उत्तराखंड है…जहां पिछले 5 महीने में 12 बाघ-बाघिनों की मौत हो गई है…वहीं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक देशभर में इस साल बीते पांच महीने में कुल 76 बाघों की मौत हुई है…..प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल अप्रैल में देश में बाघ गणना-2022 के आंकड़े जारी किए थे…उसमें पिछले चार सालों से बाघों की संख्या में 6.7 प्रतिशत की बढ़ोत्वृतरी बताई गई….देशभर में बाघों की संख्या करीब 3167 बताई गई है….साल 2018 की गणना की माने तो उत्तराखंड में बाघों की संख्या 442 है….अभी राज्यवार आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं…लेकिन उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारी इन्हीं आंकड़ों के आधार पर प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने की संभावना जताकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं….इसके उलट जिस तेजी से बाघों की मौत हो रही है,…उससे तस्वीर का रंग धुंधला भी हो सकता है…लिहाजा मौतों की वजह क्या है..अभी ये सामने नहीं आ सका है….