उत्तराखंड के रिजर्व फॉरेस्ट में सुरक्षित नहीं हैं बाघ, जनवरी से अब तक हुई 12 मौतें

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Dehradun News: सबसे सुरक्षित माने जाने वाले उत्तराखंड के रिजर्व फॉरेस्ट में बाघों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। बाघों के संरक्षण के लिए सेव टाइगर प्रोजेक्ट के अंतर्गत वन विभाग बाघों की सुरक्षा को लेकर कई दावे करता है। मगर, उनकी मौत को लेकर आई रिपोर्ट से हड़कंप मच गया है। वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक समीर सिन्हा ने बताया कि जनवरी से लेकर अब तक 12 बाघों की मौत हुई है। इसको लेकर समीर सिन्हा ने एक कमेटी भी बनाई है। बाघों की मौत शिकारियों की वजह से नहीं हुई है। हालांकि, मौत की वजह जानने की कोशिश की जा रही है। समीर सिन्हा ने आगे बताया कि साल 2018 में हुए सर्वेक्षण में उत्तराखंड में 442 बाघों की गिनती हुई थी। यह अपने आप में एक उपलब्धि है। दूसरी तरफ अभी हाल ही में शिवालिक रेंज में बाघों की संख्या डेढ़ सौ से ज्यादा पाई गई है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर में इस साल बीते पांच महीने में कुल 76 बाघों की मौत हुई है। इनमें 12 बाघ केवल उत्तराखंड में मारे गए। उत्तराखंड में इस साल बाघ की पहली मौत का मामला जनवरी में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में सामने आया था। उसके बाद फरवरी मेें तीन बाघ नैनीताल और रामनगर में मृत पाए गए। फिर मार्च में दो बाघ चकराता रेंज हल्द्वानी और रामनगर डिविजन में मारे गए। अप्रैल में कॉर्बेट की ढेला रेंज में एक बाघ मृत पाया गया। मई में दो बाघ कालागढ़ डिविजन और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मारे गए, जबकि तीन बाघों की मौत का आंकड़ा अभी तक वेबसाइट पर अपडेट नहीं किया गया है। बाघों की मौत के कारण अलग-अलग हैं। वर्ष 2022 में 12 महीने में नौ बाघों की मौत दर्ज की गई थी।